टेक कंपनियों अपने करोड़ों यूजर्स के ऐप्स और दूसरी सेवाओं का डेटा कहां स्टोर होता है? आइए जानते हैं।
Data Center : Google, Microsoft, Meta, Amazon, Apple के दुनियाभर में करोड़ों यूजर हैं, लेकिन कभी सोचा है कि इन कंपनियों के करोड़ों यूजर्स के ऐप्स और दूसरी सेवाओं का डेटा कहां स्टोर होता है? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि ये सभी टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने यूजर्स का डेटा बड़े-बड़े डेटा सेंटर में स्टोर करती हैं। इन डेटा सेंटर को बनाने में टेक कंपनियों को अरबों डॉलर का खर्चा आता है। हाल ही में Meta अपने AI डेटा सेंटर के लिए एक न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी से डील करने वाली थी, लेकिन मधुमक्खियों के कारण मार्क जुकरबर्ग के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में रुकावट आ गई है। हालांकि, जुकरबर्ग अपने डेटा सेंटर को बनाने के लिए नया रास्ता तलाश रहे हैं।
डेटा सेंटर क्या होता
डेटा सेंटर का साइट उस कंपनी के यूजर्स पर निर्भर करता है। मान लिजिए अगर किसी कंपनी के पास लाखों यूजर्स हैं तो उसे बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर करना होगा। ऐसे डेटा सेंटर के लिए जटिल इक्विपमेंट्स और सर्वर की जरूरत होती है। इन सर्वर को चलाने के लिए बिजली की अनवरत आपूर्ति होनी चाहिए, नहीं तो डेटा सेंटर के इक्विपमेंट्स काम नहीं करेंगे और यूजर्स को अपने डेटा को लेकर परेशानी होने लगेगी।
मॉडर्न डेटा सेंटर की तरफ शिफ्ट करेगी टेक कंपनियां
देखा गया है कि आजकल टेक कंपनियां ट्रेडिशनल फिजिकल सर्वर की जगह मॉडर्न डेटा सेंटर की ओर शिफ्ट कर रही हैं। ये डेटा सेंटर पूरी तरह से मल्टी-क्लाउड एनवायरनमेंट पर काम करते हैं। Google, Microsoft, Meta (Facebook) जैसी कंपनियों के कई देशों में यूजर हैं, लेकिन कंपनी के डेटा सेंटर कुछ ही जगहों पर बनाए गए हैं। ऐसे डेटा सेंटर से यूजर के डेटा को रियल टाइम में एक्सेस करने के लिए क्लाउड एनवायरनमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है।
बता दें कि टेक कंपनियां इन दिनों AI के क्षेत्र में इन्वेस्ट कर रही हैं, जिसके लिए और भी ज्यादा डेटा स्टोर करने की जरूरत होगी, ताकि AI चैटबॉट यूजर्स द्वारा पूछे गए हर सवाल का जवाब दे सकें। इसके लिए बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर और प्रोसेस करने की जरूरत होगी। वहीं, टेक्नोलॉजी कंपनियां डेटा सेंटर में नेटवर्क सिक्योरिटी अप्लायंसेज के साथ-साथ बड़े सर्वर भी लगाती हैं। डेटा स्टोर करने के साथ-साथ उसे सुरक्षित रखना भी एक बड़ा काम है। इन डेटा सेंटर में नेटवर्क सिक्योरिटी की कई लेयर होती हैं, जिसके लिए बड़े इक्वीपमेंट लगाने पड़ते हैं।
Google डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का करेगी इस्तेमाल
Google, Microsoft, Apple जैसी टेक कंपनियां आने वाले सालों में डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का इस्तेमाल करने जा रही हैं। Google ने पहले ही इसको लेकर कंफर्म कर दिया है कि वह 2030 से अपने डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी का इस्तेमाल करेगी। वहीं Meta अपने AI डेटा सेंटर के लिए न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी से डील करने के लिए तैयार है, ताकि वह AI सेक्टर में उतरने वाली प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को चुनौती दे सके।