Indian Semiconductor Mission: भारत ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया है। सरकार समर्थित माइक्रोप्रोसेसर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत C-DAC ने DHRUV64 नाम का नया माइक्रोप्रोसेसर तैयार किया है। इसे भारत का पहला 1.0 GHz, 64 बिट डुअल कोर माइक्रोप्रोसेसर बताया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य विदेशी चिप्स पर देश की निर्भरता को कम करना है। सरकार की ओर से जारी आधिकारिक नोट में बताया गया है कि DHRUV64 को खासतौर पर टेलीकॉम, इंडस्ट्रियल और रणनीतिक तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
DHRUV64 माइक्रोप्रोसेसर के साथ भारत की चिप आत्मनिर्भरता को नई रफ्तार मिली है। जानिए RISC-V आधारित इस प्रोसेसर की खासियत, उपयोग और सरकार की आगे की योजना।
क्या है DHRUV64
DHRUV64 एक 64 बिट डुअल कोर प्रोसेसर है, जिसकी क्लॉक स्पीड 1.0 GHz है। सरकारी जानकारी के अनुसार, यह प्रोसेसर मल्टीटास्किंग को बेहतर तरीके से संभाल सकता है और मॉडर्न डिजिटल सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले बाहरी हार्डवेयर के साथ आसानी से काम करता है।
अधिकारियों का कहना है कि इस चिप का उपयोग 5G टेलीकॉम नेटवर्क, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर डिवाइसेज, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है। ये ऐसे सेक्टर हैं, जहां भारत आज भी बड़े पैमाने पर आयातित प्रोसेसरों पर निर्भर है।
C-DAC has launched India’s first indigenous 1.0 GHz 64-bit dual-core Microprocessor called #DHRUV64. pic.twitter.com/20dkOT6iG1
— News IADN (@NewsIADN) December 15, 2025
भारत की मौजूदा स्थिति
सरकारी नोट में एक अहम सच्चाई भी सामने रखी गई है। भारत दुनिया के करीब 20 प्रतिशत माइक्रोप्रोसेसर का उपभोग करता है, लेकिन इसके मुकाबले देश में घरेलू निर्माण अभी सीमित है। इसी अंतर को पाटने के लिए सरकार देश में ही प्रोसेसर डिजाइन और विकास को बढ़ावा दे रही है।
RISC-V तकनीक पर आधारित प्रोसेसर
DHRUV64 को Digital India RISC-V प्रोग्राम के तहत विकसित किया गया है। यह प्रोग्राम RISC-V नाम की ओपन-सोर्स इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर पर आधारित है। RISC-V की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए किसी तरह की लाइसेंस फीस नहीं देनी पड़ती। सरकार का मानना है कि इससे स्टार्टअप्स, रिसर्च संस्थान और घरेलू कंपनियां कम लागत में अपने हिसाब से प्रोसेसर डिजाइन कर सकेंगी।
DIR-V रोडमैप के तहत इससे पहले THEJAS32 और THEJAS64 प्रोसेसर पेश किए जा चुके हैं। DHRUV64 इस श्रृंखला का तीसरा प्रोसेसर है।
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MeitY और C-DAC की भूमिका
इस पूरे कार्यक्रम की निगरानी MeitY कर रहा है, जबकि प्रोसेसर डिजाइन की जिम्मेदारी C-DAC के पास है। सरकार इन प्रोसेसरों को टेलीकॉम उपकरणों, एम्बेडेड सिस्टम्स और आने वाले डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बेहद अहम मान रही है। इसके साथ ही India Semiconductor Mission के तहत देश के अलग-अलग राज्यों में 1.60 लाख करोड़ के सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है। वहीं, Chips to Startup प्रोग्राम के लिए 250 करोड़ का बजट रखा गया है, जिसे 100 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जा रहा है।
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आगे की योजना
DHRUV64 के बाद सरकार Dhanush और Dhanush+ नाम के नए प्रोसेसर विकसित करने की तैयारी में है। DHRUV64 को भारत में डिजाइन किए गए कंप्यूटिंग हार्डवेयर की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ये प्रोसेसर कितनी जल्दी बड़े पैमाने पर उत्पादन में आते हैं और वास्तविक व्यावसायिक इस्तेमाल तक पहुंच पाते हैं।
