Canary चैनल खासतौर पर उन डेवलपर्स और एडवांस टेस्टर्स के लिए है, जो नई APIs और सिस्टम बदलावों को सबसे पहले एक्सप्लोर करना चाहते हैं।
Google: Google ने अपने Android ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एक नया Android Canary रिलीज चैनल लॉन्च किया है। यह नया चैनल पारंपरिक Developer Preview मॉडल की जगह लेगा। इसका मकसद डेवलपर्स को Android की उन सुविधाओं तक पहुंच देती है जो पहले विकास के चरण में थीं। अभी यह सुविधा सिर्फ Pixel स्मार्टफोन और टैबलेट यूजर्स के लिए ही मौजूद है।
क्या है Android Canary?
Android Canary एक नया अपडेट चैनल है जो डेवलपर्स को लगातार अपडेट देता रहेगा। पहले Android Beta प्रोग्राम में डेवलपर्स को Android के अगले वर्जन (Android 16) के फीचर्स महीनों पहले देखने को मिलते थे, लेकिन Canary के जरिए ये अपडेट और भी जल्दी मिलेंगे। Google का कहना है कि इस चैनल में सिर्फ यूजर इंटरफेस ही नहीं बल्कि सिस्टम के व्यवहार और फंक्शनलिटी में भी बदलाव किए जाएंगे। इससे डेवलपर्स को पहले से ज्यादा टेक्निकल एक्सेस मिलेगा।
READ MORE: https://hindi.analyticsinsight.net/gadgets/trump-mobile-made-in-china-phone-truth-exposed/
READ MORE: https://hindi.analyticsinsight.net/cybersecurity/what-is-digital-arrest-scam-shocking-fraud/
किनके लिए है ये चैनल?
Canary चैनल खासतौर पर उन डेवलपर्स और एडवांस टेस्टर्स के लिए है, जो नई APIs और सिस्टम बदलावों को सबसे पहले एक्सप्लोर करना चाहते हैं। हालांकि, ये बिल्ड्स पूरी तरह स्थिर नहीं होंगी। इनमें बग्स या ऐप्स के साथ बेमेलता की संभावना हो सकती है। Google की सलाह है कि इसे अपने प्राइमरी फोन पर इस्तेमाल न करें बल्कि किसी एक्स्ट्रा Pixel डिवाइस पर टेस्ट करें।
क्या-क्या मिलेगा नया?
- OTA Updates से यूजर्स सीधे नए बिल्ड्स पा सकेंगे। उन्हें मैनुअल फ्लैशिंग की जरूरत नहीं होगी।
- डेवलपर्स को जल्दी अपडेट्स मिलने से वह अपने ऐप्स को समय रहते सुधार सकेंगे।
- Canary चैनल BETA स्टेज के बाद भी एक्टिव रहेगा जिससे फीडबैक देने और बदलावों को ट्रैक आसानी से की जा सकेगी।
क्यों बदला Developer Preview मॉडल?
पुराने Developer Preview मॉडल की कुछ सीमाएं थीं। इसमें मैनुअल फ्लैशिंग की जरूरत थी। जैसे ही प्लेटफॉर्म BETA स्टेज पर पहुंचता था अपडेट बंद हो जाते थे। इसके कारण कुछ जरूरी फीचर्स पर फीडबैक नहीं मिल पाता था। Canary चैनल इन्हीं समस्याओं को हल करता है और लगातार टेस्टिंग की सुविधा देता है। अब Android डेवलपर्स को न केवल पहले से ज्यादा जानकारी मिलेगी बल्कि वह अपने ऐप्स को समय रहते बदल भी सकेंगे।