Axis Capital IT Report: भारतीय IT कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है। यह जानकारी Axis Capital के IT Services & Internet के कार्यकारी निदेशक मनिक तनेजा ने दी है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2016-17 में टॉप 5 IT कंपनियों को सालाना लगभग 40,000 से 45,000 वीजा मिलते थे लेकिन हाल के सालों में यह संख्या 12,000 से भी कम रह गई है। तनेजा के अनुसार, पहले कुल मंजूरी का 11 12% हिस्सा टॉप पांच कंपनियों का था अब यह केवल 5% से भी कम है।
भारतीय IT क्षेत्र में H-1B वीजा घटने के बाद Tech Mahindra और Persistent जैसे कंपनियों को वित्तीय असर का सामना करना पड़ सकता है।
स्थानीय भर्ती और अंतरराष्ट्रीय विस्तार
इस बदलाव का कारण कंपनियों का स्थानीय कर्मचारियों को अधिक भर्ती करना, कर्मचारियों के लिए ग्रीन कार्ड का समर्थन और कनाडा व मैक्सिको में ऑपरेशन का विस्तार करना बताया गया है। तनेजा के अनुसार, H-1B का जोखिम अब मैनेज करने योग्य हो गया है खासकर हाल की नीति स्पष्टता के बाद।
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कंपनी-विशेष असर
यदि वर्तमान वीजा संख्या बनी रहती है तो Tech Mahindra की आय में लगभग 4% की कमी आ सकती है। वहीं, अधिकांश टियर-वन IT कंपनियों के लिए यह प्रभाव केवल 1.5 से 2% हो सकता है। पिछले साल Tech Mahindra को लगभग 957 H-1B मंजूरियां मिलीं, जबकि Persistent Systems को लगभग 192। Persistent के लिए यह FY25 में EBITDA पर 7 से 8% का असर डाल सकता है।
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विकास और निवेश रणनीति
वीजा के अलावा, IT क्षेत्र में विकास दर धीमी हो रही है क्योंकि उद्योग परिपक्व हो रहा है। Axis Capital अपने निवेश में चयनात्मक है। टियर-वन कंपनियों में Infosys और Wipro, टियर-टू में Mphasis और Hexaware, और BPO क्षेत्र में Firstsource Solutions और Sagility India को प्राथमिकता दी जा रही है। यह स्थिति साफ करती है कि भारतीय आईटी कंपनियां अब H-1B वीजा पर निर्भर रहने की बजाय स्थानीय भर्ती और अंतरराष्ट्रीय विस्तार की ओर अधिक ध्यान दे रही हैं।