Microsoft के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि यह उसके AI की ओर तेजी से बढ़ते कदमों को भी दर्शाता है।
Microsoft : Microsoft ने अपनी क्लाउड सर्विस Azure से जबरदस्त कमाई की है। कंपनी ने खुलासा किया है कि Azure ने एक साल में 75 अरब डॉलर से अधिक कमाई की है, जो पिछले साल की तुलना में 34 प्रतिशत ज्यादा है। Microsoft के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि यह उसके AI की ओर तेजी से बढ़ते कदमों को भी दर्शाता है।
Microsoft अपनी AI सेवाओं को Azure क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ जोड़ रहा है। यह पहला मौका है जब कंपनी ने Azure से जुड़ी इतनी डिटेल इन्फोर्मेशन पब्लिकली की है और इन्वेस्टरों को इसके क्लाउड स्ट्रैटेजी की झलक देखने को मिली है।
तगड़ी कमाई और मुनाफा
Azure की कामयाबी के साथ ही Microsoft की कुल तिमाही कमाई में भी जबरदस्त उछाल आया है। कंपनी ने जून में समाप्त हुई तिमाही में 24% का मुनाफा दर्ज किया है। Microsoft ने कुल 34.3 अरब डॉलर का नेट इनकम दिखाया है जो प्रति शेयर 3.65 डॉलर बनता है। यह शेयर बाजार के एनालिस्ट्स की उम्मीदों से कहीं ज्यादा है। कुल राजस्व भी उम्मीद से अधिक 76.4 डॉलर अरब रहा है।
डेटा सेंटर में भारी निवेश
Microsoft के CEO सत्या नडेला ने बताया कि कंपनी अब अपने डेटा सेंटर्स का विस्तार सबसे तेज गति से कर रही है। Microsoft के पास अभी 6 महाद्वीपों में 400 से ज्यादा डेटा सेंटर हैं। यह विस्तार AI और क्लाउड सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन इससे लागत भी काफी बढ़ रही है।
लागत कम करने के लिए Microsoft ने इस साल करीब 15,000 कर्मचारियों की छंटनी की है। हालांकि, कुल कर्मचारियों की संख्या अभी भी 2.28 लाख बनी हुई है। कंपनी ने कई नौकरियों को अमेरिका में ट्रांसफर कर दिया है और सपोर्ट व कंसल्टिंग की भूमिकाओं में कटौती की है।
बाजार में बढ़ता कॉम्पिटिशन
हालांकि, Azure ने बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन यह अभी भी Amazon Web Services से पीछे है जिसकी सालाना कमाई 107.6 अरब डॉलर है। Microsoft इस अंतर को कम करने के लिए अपने पूंजीगत खर्च को लगातार बढ़ा रहा है। कंपनी की CFO Amy Hood के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में यह खर्च 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
कारोबारी जोखिम
Microsoft ने यह भी माना है कि अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ नीतियां उसकी क्लाउड और डिवाइस सप्लाई चेन के लिए चुनौती बन सकती हैं। कंपनी ने कहा कि इन अस्थिर नीतियों का असर उसकी लागत और प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ सकता है।