Apple और TATA की यह पार्टनरशिप सिर्फ बिजनेस डील नहीं है, बल्कि यह भारत की टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता की अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी है।
Apple Tata Partnership: Apple अब भारत में अपनी पकड़ को और मजबूत करने में जुट गई है। अमेरिकी टेक दिग्गज कंपनी Apple ने अपने iPhone और MacBook की रिपेयरिंग सर्विस को भारत में बेहतर बनाने के लिए TATA Group के साथ हाथ मिलाया है। यह कदम न सिर्फ भारत में Apple के बढ़ते कारोबार को दिखाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि कंपनी अब चीन की बजाय भारत जैसे देशों में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस की सुविधाएं विकसित करना चाहती है।
TATA को मिला रिपेयरिंग का जिम्मा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने भारत में अपने डिवाइसों की रिपेयरिंग का काम Tata Group को सौंप दिया है। इसके तहत Tata Group अब ताइवान की कंपनी Wistron की भारतीय यूनिट ICT सर्विस मैनेजमेंट सॉल्यूशंस का टेकओवर कर रहा है। यह यूनिट Apple के iPhone की बिक्री के बाद की सर्विस संभालेगी।
कर्नाटक में Tata के iPhone असेंबली कैंपस से यह मरम्मत सेवा शुरू की जाएगी। यह एक बड़ा कदम है, जो Tata को Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन में और मजबूत भूमिका निभाने का मौका देगा।
भारत में iPhone का रिपेयरिंग बाजार क्यों जरूरी?
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। यहां iPhone की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। रिसर्च फर्म के मुताबिक, 2023 में भारत में करीब 1.1 करोड़ iPhone बिके। ये आंकड़ा 2020 के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। iPhone की बिक्री बढ़ने के साथ ही उसकी सर्विस और रिपेयरिंग की मांग भी बढ़ गई है। ऐसे में Apple के लिए जरूरी हो गया कि वह भारत में एक भरोसेमंद लोकल पार्टनर के साथ मिलकर अपनी सर्विस को बेहतर बनाए। यही वजह है कि Apple ने Tata Groupको यह जिम्मेदारी सौंपी है।
भारत में बनेंगे और भी ज्यादा iPhone
Apple अब iPhone की मैन्युफैक्चरिंग को भी भारत में तेजी से बढ़ा रही है। फिलहाल, भारत से iPhone के ग्लोबल प्रोडक्शन का करीब 15% हिस्सा आता है। Tata इलेक्ट्रॉनिक्स, Foxconn और Pegatron जैसी कंपनियां भारत में iPhone बना रही हैं।
Apple के CEO टिम कुक ने खुद यह बताया है कि अमेरिका में बिकने वाले iPhone में से कई अब भारत में बनाए जा रहे हैं। इससे साफ है कि भारत अब सिर्फ iPhone खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि iPhone बनाने वाला भी बन गया है।
चीन की जगह भारत?
एक समय था जब Apple की मैन्युफैक्चरिंग पूरी तरह चीन पर निर्भर थी, लेकिन अब अमेरिकी नीतियों, टैक्स और वैश्विक तनावों को देखते हुए Apple ने चीन से बाहर निकलने की रणनीति बनाई है। इसमें भारत एक प्रमुख विकल्प बनकर उभरा है।
भारत न सिर्फ बड़ी जनसंख्या और तेजी से बढ़ते बाजार वाला देश है, बल्कि यहां की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं और नीतिगत समर्थन भी Apple को आकर्षित कर रहे हैं।