Permanent Magnets India: मंगलवार को भारत में तेजी से बदलते शहरों और उनके भविष्य पर अहम चर्चा हुई। इस चर्चा में रियल एस्टेट और आवास के साथ-साथ उन चीजों पर भी फोकस किया गया, जो दिखाई नहीं देतीं लेकिन शहरों को चलाने के लिए बेहद जरूरी हैं। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि शहरों की तरक्की सिर्फ इमारतों और सड़कों से नहीं होती, बल्कि इसके पीछे खनिज और तकनीकी संसाधनों की बड़ी भूमिका होती है।
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि भारत के शहरों की असली ताकत खनिज, तकनीक और आत्मनिर्भरता है।
शहरों के लिए जरूरी हैं क्रिटिकल मिनरल्स
रेड्डी ने कहा कि जैसे कोयला क्षेत्र में 74,000 हेक्टेयर ग्रीन कवर बढ़ाया गया है, उसी तरह सरकार अब लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ मिनरल्स पर भी ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि ये खनिज आधुनिक शहरों और नई तकनीक की रीढ़ हैं। उनका कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्रिटिकल मिनरल्स सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं रहे, बल्कि अब यह एक वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौती बन चुके हैं। भारत ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है।
किन क्षेत्रों में होता है इस्तेमाल
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ये खनिज कई अहम सेक्टर्स में इस्तेमाल होते हैं। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर, रिन्यूएबल एनर्जी, डिफेंस और कृषि शामिल है। ये सभी क्षेत्र भारत के शहरी विकास और अर्थव्यवस्था से सीधे जुड़े हैं।
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आयात पर निर्भरता घटाने की योजना
रेड्डी ने माना कि भारत अभी 98% क्रिटिकल मिनरल्स के लिए आयात पर डिपेंड है। इसी वजह से सरकार ने 32,000 करोड़ की क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू की है। इसके तहत सरकारी कंपनियां विदेशों में जाकर खनिज ब्लॉक्स हासिल करेंगी, ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके।
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भारत में बनेंगे परमानेंट मैग्नेट
कॉन्क्लेव में यह भी बताया गया है कि भारत में पहली बार परमानेंट मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम तैयार किया गया है। ये मैग्नेट मोबाइल फोन से लेकर खेती तक कई जगह इस्तेमाल होते हैं। अब तक इन्हें बाहर से मंगाया जाता था, लेकिन NFTDC हैदराबाद ने इसकी तकनीक विकसित कर ली है। मंत्री ने बताया कि अगस्त 2026 से भारत में इनका उत्पादन शुरू हो जाएगा।
