AI जैसी नई टेक्नोलॉजी को लेकर जहां पूरी दुनिया उत्साहित है, वहीं चीन ने यह साफ किया है कि तकनीक का इस्तेमाल तभी तक सही है जब तक वह नैतिक सीमाओं के भीतर हो।
AI Ban In China: चीन ने देशभर में अपने AI चैटबॉट्स और उनसे जुड़ी टेक्नोलॉजी को अस्थायी रूप से बैन कर दिया है। यह फैसला चीन की महत्वपूर्ण एकेडमी एग्जाम Gaokao के दौरान नकल को रोकने के मकसद से ली गई है। इस एग्जाम में 1.34 करोड़ से ज्यादा छात्र हिस्सा लेंगे।
क्या है Gaokao exam?
Gaokao को चीन की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित एग्जाम माना जाता है। इसके नतीजों के आधार पर छात्रों को देश के 147 प्रमुख विश्वविद्यालयों में एडमिशन मिलता है, जो कि Double First-Class Construction योजना के तहत आते हैं। इस एग्जाम से छात्रों का एकेडमी और करियर का भविष्य तय होता है, इसलिए यह परीक्षा बेहद गंभीरता से ली जाती है।
AI chatbots पर क्यों लगी रोक?
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन सरकार को आशंका है कि छात्र AI chatbots और जनरेटिव AI टूल्स का इस्तेमाल नकल के लिए कर सकते हैं। क्योंकि ये टूल्स अब फोटो पहचान, टेक्स्ट जनरेशन और क्वेश्चन-सॉल्विंग जैसे फीचर्स प्रदान करते हैं, इसलिए उनके माध्यम से नकल करना पहले की तुलना में आसान हो गया है। इसी खतरे को देखते हुए, सरकार ने प्रमुख कंपनियों को अपने टूल्स अस्थायी रूप से बंद करने का निर्देश दिया है।
किन कंपनियों के टूल्स हुए बैन?
चीन की कई जानी-मानी टेक कंपनियों ने अपने AI टूल्स को बंद कर दिया है। इनमें
- अलीबाबा का Qwen
- टेनसेंट का Yuanbao
- बाइटडांस का Doubao
- मूनशॉट का Kimi
इन टूल्स की विशेषताएं है कि ये फोटो से पहचान कर जवाब देता है, लाइव सवालों के जवाब देता है।
पहले से भी सख्त हैं सुरक्षा
Gaokao एग्जाम के दौरान चीन सरकार पहले से ही कई सख्त उपाय अपनाती रही है, जैसे परीक्षा केंद्रों में मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक, डिवाइस पर प्रतिबंध, सीसीटीवी कैमरे और निगरानी के लिए ड्रोन की तैनाती और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन शामिल हैं, लेकिन अब जब जनरेटिव AIजैसी टेक्नोलॉजी तेजी से आम हो रही है, तो इससे नकल की नई संभावनाएं भी पैदा हो गई हैं।
यह फैसला क्यों है जरूरी?
Gaokao न सिर्फ छात्रों के लिए एक परीक्षा है, बल्कि यह उनके पूरे भविष्य की दिशा तय करता है। चीन में एजुकेशन कॉम्पिटिशन बहुत कड़ी है, ऐसे में नकल या धोखाधड़ी को किसी भी कीमत पर रोका जाना जरूरी है। AI टूल्स भले ही शिक्षा में सहायक हों, लेकिन अगर उनका इस्तेमाल गलत तरीके से हो तो ये परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर सकते हैं। इसलिए यह कदम न केवल नकल को रोकने के लिए जरूरी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिले।