Milken Institute: AI सेक्टर में कंपनियों की बढ़ती वैल्यूएशन अब स्थिर नहीं रह सकती और जल्द ही बाजार में गिरावट आ सकती है। यह चेतावनी मिल्कन इंस्टीट्यूट के चीफ इकोनॉमिस्ट और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विलियम ली ने दी है। ली का कहना है कि भले ही उन्हें AI की लंबी अवधि की क्षमता पर भरोसा है और इसे अमेरिकी श्रेष्ठता का कारण मानते हैं लेकिन फिलहाल के मार्केट ट्रेंड में बबल जैसा संकेत दिख रहा है।
Milken इंस्टीट्यूट के विलियम ली ने कहा कि AI बाजार में बबल की संभावना है और चीन जैसे वैश्विक योगदानकर्ता के बिना सेक्टर अस्थिर हो सकता है।
कीमतें बढ़ गईं, परिणाम नहीं
ली ने बताया कि वर्तमान में AI तकनीकों की कीमतें वास्तविक परिणामों से कहीं आगे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक हम ऐसे एप्लिकेशन नहीं देखे हैं जो प्रोडक्टिविटी बढ़ाएं। ज्यादातर निवेश सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में गया है। उन्होंने इसे डॉट-कॉम युग से जोड़कर समझाया, जब फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाई गईं लेकिन उनका इस्तेमाल तब हुआ जब कीमतें गिर गईं। ली का कहना है कि AI सेक्टर में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है।
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चीन और निवेशकों की रणनीति
ली ने यह भी कहा कि चीन के दुर्लभ धातुओं पर बढ़ता नियंत्रण निवेशकों के फैसलों को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि निवेशक अपने मुनाफे निकाल सकते हैं और कुछ निवेश घटा सकते हैं जब तक वास्तविक सुधार नजर न आए।
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ली ने यह भी जोर दिया कि वैश्विक AI इकोसिस्टम में चीन का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने Nvidia के CEO जेनसन हुआंग के हवाले से कहा कि अमेरिकी टेक कंपनियां चीन को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं क्योंकि दुनिया के करीब आधे AI शोधकर्ता और इनोवेटर चीन में हैं। इसका मतलब है कि AI निवेश में जल्द ही सतर्कता बढ़ सकती है और बाजार में अस्थिरता देखने को मिल सकती है।