डिजिटल दुनिया में Free ऐप्स का असली वैल्यू आपका प्राइवेट डेटा है। इस डेटा से कंपनियां सिर्फ विज्ञापन नहीं बेचतीं, बल्कि आपकी राय और व्यवहार प्रभावित कर सकती हैं।
Meta Apps: क्या आपने कभी गौर किया है कि जैसे ही आप अपने दोस्तों से किसी प्रोडक्ट या जगह की चर्चा करते हैं, तो थोड़ी देर में वही चीज आपकी Facebook या Instagram फीड में विज्ञापन बनकर दिख जाती है? अगर हां… तो बता दें कि यह कोई संयोग नहीं है। डेटा एनालिटिक्स कंपनी Apteco की ताजा रिपोर्ट बताती है कि कुछ फेमस ऐप्स हमारी डिजिटल जिंदगी को करीब से मॉनिटर करते हैं और हमारी पसंद-नापसंद का पूरा डेटा तैयार करते हैं।
कौन-कौन सी ऐप्स हैं ‘रडार’ पर?
रिपोर्ट के मुताबिक, Meta के तीन बड़े प्लेटफॉर्म Facebook, Instagram और Threads तो शामिल हैं ही। इसके अलावा LinkedIn, Pinterest, Amazon, Alexa, YouTube, X और PayPal भी यूजर्स का डिटेल डेटा इकट्ठा कर रहे हैं। ये ऐप्स न सिर्फ आपकी ऑन-स्क्रीन एक्टिविटी, बल्कि फोन का सेंसर डेटा और फाइनेंशियल जानकारी तक रिकॉर्ड करते हैं।
कैसी-कैसी जानकारी जुटाई जाती है?
- लोकेशन और मूवमेंट: आप कहां हैं, कितनी देर रुकते हैं, किस रूट से रोज आते-जाते हैं।
- ब्राउजिंग-हिस्ट्री: आपने क्या सर्च किया, किस पोस्ट पर रुके, किस लिंक पर टैप किया।
- कॉन्टैक्ट नेटवर्क: आपके दोस्त, रिश्तेदार और सहकर्मी कौन हैं और किससे आपकी कितनी बातचीत होती है।
- डिवाइस डीटेल्स: फोन का मॉडल, बैटरी स्थिति, नेटवर्क टाइप, इस्तेमाल किए गए सेंसर।
- आर्थिक जानकारी: इन-ऐप खरीदारी, पेमेंट हिस्ट्री, पसंदीदा भुगतान माध्यम।
इन सबको जोड़कर कंपनियां आपका ‘डिजिटल प्रोफाइल’ बनाती हैं। इससे आपके रोजाना के रूटीन, खरीदारी की आदतों और राजनीतिक झुकाव का भी अनुमान लगाया जा सकता है।
क्यों है यह खतरनाक?
कंपनियों का दावा है कि ये डेटा ‘बेहतर सेवा’ के लिए है, मगर इतिहास कहता है कि इसका दुरुपयोग भी आसानी से हो सकता है। Cambridge Analytica स्कैंडल (2018) में करोड़ों अमेरिकी नागरिकों का Facebook डेटा एक्सेस कर उनकी राजनीतिक राय प्रभावित करने की कोशिश की गई थी। इसी तरह अगर किसी हैकर या अवैध एजेंसी को आपकी पूरी प्रोफाइल मिल जाए, तो फाइनेंशियल फ्रॉड, आइडेंटिटी चोरी या मेंटल मेनुप्लेशन के दरवाजे खुल जाते हैं।
आप अपना डेटा कैसे बचा सकते हैं?
- ऐप परमिशन पर नियंत्रण रखें
- नई ऐप इंस्टॉल करते समय मांगी गई अनुमति जैसे कि लोकेशन, माइक्रोफोन, कैमरा ध्यान से पढ़ें।
- जो परमिशन जरूरी न हो, उसे Deny या While Using the App पर सेट करें।
- सेटिंग्स में जाकर सेंसेटिव सेंसर बंद करें
- फोन की प्राइवेसी सेटिंग्स से कैमरा व माइक्रोफोन का बैकग्राउंड एक्सेस ऑफ कर दें।
- ‘Precise Location’ की जगह ‘Approximate Location’ चुनें।
- पर्सनलाइज्ड विज्ञापन सीमित करें
- Facebook, Google और Amazon अकाउंट सेटिंग्स में ‘Ads Preferences’ या ‘Ad Personalization’ बंद कर दें।
- ब्राउजर का सुरक्षित वर्जन अपनाएं।
- मोबाइल पर छोटी खोजों के लिए Brave या Firefox Focus जैसे प्राइवेसी-फोकस्ड ब्राउजर का उपयोग करें।
- समय-समय पर डेटा साफ करें
- कैश, कुकी और ब्राउजिंग-हिस्ट्री डिलीट करें।
- उपयोग में नहीं आने वाले पुराने ऐप्स तुरंत अनइंस्टॉल करें।