पहलगाम हमले की जांच में अब एक नई बात सामने आई है। आतंकियों ने एडवांस तकनीक वाले अल्ट्रा स्टेट कम्युनिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया था।
Ultra State Communication System : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले में आतंकियों ने बेगुनाह लोगों को निशाना बनाया गया था। इस केस की जांच कर रही NIA को कुछ इम्पोर्टेंट सुराग मिले हैं, जो इस हमले के पीछे की प्लानिंग और तकनीक को लेकर चौंकाने वाले हैं।
आतंकियों ने इस्तेमाल किया हाई-टेक कम्युनिकेशन सिस्टम
NIA सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने Ultra State Communication System का यूज किया था। बताया जा रहा है कि ये कोई आम मोबाइल नेटवर्क नहीं है, बल्कि यह सिस्टम बिना सिम कार्ड के काम करता है और इसमें लोकेशन ट्रेस करना भी बहुत मुश्किल होता है।
क्या होता है Ultra State Communication System?
आसान लैंग्वेज में समझें तो यह एक ऐसा हाई-टेक कम्युनिकेशन सिस्टम है, जिससे बिना सिम कार्ड और बिना मोबाइल नेटवर्क के भी आपसी बातचीत की जा सकती है। ये सिस्टम सैटेलाइट या स्पेशल फ्रीक्वेंसी नेटवर्क्स के जरिए काम करता है, जो नॉर्मल आदमी के यूज से बाहर होता है और सुरक्षा एजेंसियों के लिए इसे ट्रैक कर पाना भी काफी मुश्किल हो जाता है।
इस सिस्टम की रेंज कितनी है?
सिक्योर कम्युनिकेशन के साथ आने वाला यह सिस्टम बहुत कम रेंज में ही काम करता है। फिलहाल, अभी यह नहीं पता चल पाया है कि इस सिस्टम की रेंज कितने किलोमीटर है। सूत्रों की मानें, तो इस सिस्टम के दो सिग्नल अभी तक ट्रेस किए गए हैं। मामले में अब यह नई जानकारी मिलने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने न सिर्फ ultra state communication system का इस्तेमाल किया था, बल्कि बॉडी कैमरा और हेलमेट पर encrypted apps का भी इस्तेमाल किया।
आतंकियों को कैसे मिला फायदा?
- ट्रेस न होना: ये सिस्टम ट्रैकिंग से बचा रहता है, जिससे आतंकियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- सेफ कम्युनिकेशन: इसमें बातचीत को इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन होता है, जिससे इनकी प्लानिंग गुप्त रहती है।
- तेज और क्लियर कम्युनिकेशन: यह सिस्टम दूर-दराज के इलाकों में भी काम करता है, जहां मोबाइल नेटवर्क कमजोर होता है।