भारत के जहाजों में अब यात्रियों को इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ISRO ने एक नया सैटलाइट लॉन्च किया है।
ISRO satellite : ISRO ने एक नया सैटलाइट लॉन्च किया है, जिसका नाम GSAT-N2 या GSAT-20 है। इस सैटलाइट को एलन मस्क के SpaceX रॉकेट से लॉन्च किया गया है। इसका मकसद भारत के हवाई जहाजों में इंटरनेट सेवा प्रदान करना और भारत के रिमोट एरिया में इंटरनेट सेवा देना है।
भारत के फ्लाइट्स में अभी तक इंटरनेट की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब सरकार ने नियम बदल दिया हैं। नियमों के अनुसार, अब यात्री फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन शर्त यही है वह इंटरनेट का यूज तब ही कर सकते हैं जब विमान 3000 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यात्रियों को WIFI के जरिए इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल तभी करने दिया जाएगा जब विमान के उस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी विमान में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के इस्तेमाल की मंजूरी होगी।
ISRO ने क्यों मांगी SpaceX से मदद
भारत का अपना रॉकेट मार्क-3 सिर्फ 4,000 किलोग्राम तक के वजन वाले सैटेलाइट ही अंतरिक्ष में भेज सकता है, लेकिन GSAT-N2 का वजन 4,700 किलोग्राम है, जो बहुत ज्यादा है इसलिए ISRO ने अमेरिकी कंपनी SpaceX की मदद ली है। बता दें कि SpaceX के रॉकेट बहुत बड़े और शक्तिशाली हैं, इसलिए वह GSAT-N2 को अंतरिक्ष में भेजने में सफल रहा। यह पहली बार होगा जब ISRO ने किसी दूसरी कंपनी के रॉकेट का इस्तेमाल किया हो।
भारत के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट है यह सैटेलाइट
GSAT-N2 (GSAT-20) ISRO द्वारा निर्मित एक बहुत ही आधुनिक सैटेलाइट है। यह सैटेलाइट भारत में तेज इंटरनेट सेवा प्रदान करेगा। इस सैटेलाइट में कई एंटीना लगे हैं, जो अलग-अलग जगहों पर इंटरनेट सिग्नल भेज सकते हैं। ये एंटीना बहुत ही कुशल हैं और एक साथ कई लोगों को इंटरनेट सुविधा प्रदान कर सकते हैं।
GSAT-N2 बहुत बड़ा सैटेलाइट है, जिसका वजन 4,700 किलोग्राम है। बता दें कि यह सैटेलाइट 14 साल तक काम करेगा। भारत के लिए यह सैटेलाइट बहुत इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि यह पूरे भारत में तेज इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगा। इस सैटेलाइट में 32 बीम हैं, जिनमें से 8 बीम पूर्वोत्तर भारत के लिए हैं और बाकी 24 बीम पूरे भारत के लिए हैं। इन बीम की मदद से भारत के अलग-अलग हिस्सों में तेज इंटरनेट पहुंचाया जाएगा।