India Supercomputer 2030: भारत में टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। अब सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत का बिल्कुल देसी सुपरकम्प्यूटर तैयार हो जाए। यह जानकारी सुपरकम्प्यूटिंग इंडिया सम्मेलन 2025 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के हेड अमितेश कुमार सिन्हा ने दी है। उन्होंने बताया कि 2030 में हमारा पूरा सुपरकम्प्यूटर सिस्टम भारत में ही बना होगा और 2032 से ये सुपरकम्प्यूटर बाजार में भी मिलना शुरू हो जाएंगे।
भारत 2030 तक अपना पूरी तरह देसी सुपरकम्प्यूटर बनाने की तैयारी में है। सरकार के मुताबिक, इससे मौसम, दवाइयों, रक्षा और टेक्नोलॉजी के कई क्षेत्रों में बड़ा फायदा मिलेगा।
अभी के सुपरकम्प्यूटर में भी भारत की बड़ी हिस्सेदारी
अमितेश सिन्हा के अनुसार, आज भारत में इस्तेमाल होने वाले सुपरकम्प्यूटरों में 50% से ज्यादा पार्ट्स भारत में ही बनते हैं। आने वाले सालों में यह हिस्सा बढ़कर 70% से भी ज्यादा हो जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट बनाने के लिए नई योजना शुरू की है। ISM के तहत भारत में चिप बनाने, पैकिंग और बड़ी फैक्ट्रियां लगाने के करीब 10 बड़े प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं। इन सभी प्रोजेक्ट्स की मदद से भारत भविष्य में पूरी तरह अपना सुपरकम्प्यूटर खुद डिजाइन और तैयार कर सकेगा।
किस-किस सेक्टर को मिलेगी सबसे ज्यादा मदद?
जब भारत का अपना सुपरकम्प्यूटर तैयार हो जाएगा, तब इसके फायदे कई क्षेत्रों में देखने को मिलेंगे
- मौसम की सटीक भविष्यवाणी आसान होगी
- नई दवाइयां और वैक्सीन तेजी से बनाई जा सकेंगी
- मिसाइल और लड़ाकू विमान जैसे हथियार और भी सुरक्षित और तेज बन सकेंगे
- बिजली, पानी और ट्रैफिक की प्लानिंग बेहतर तरीके से की जा सकेगी
- देश में हाई-टेक नौकरियों के नए मौके तैयार होंगे
- भारत पूरी तरह टेक्नोलॉजी के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा
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AI और चिप टेक्नोलॉजी पर भी जोर
सरकार सुपरकम्प्यूटिंग के साथ-साथ AI चिप और सुपरकम्प्यूटिंग चिप बनाने पर भी काम कर रही है। रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए कॉलेजों और स्टार्टअप्स को 38,000 से ज्यादा GPU दिए गए हैं। ISM प्रमुख ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर, क्वांटम और AI टेक्नोलॉजी एक-दूसरे की मदद से आगे बढ़ना चाहती हैं।
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भारत तकनीक को दुनिया के साथ साझा करने के लिए भी तैयार है, ताकि सभी देशों को इससे फायदा मिल सके। अमितेश सिन्हा ने कहा कि पिछले 10 सालों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने की क्षमता 6 गुना बढ़ चुकी है और आने वाले सालों में यह और भी तेज गति से बढ़ने वाली है।
