तमिलनाडु के मदुरै में जन्में मीडिकल क्लास फैमिली में पले‑बढ़े इस युवक ने शिक्षा, जिज्ञासा और धैर्य को अपना जीवन मंत्र बनाया।
Sundar Pichai: सुंदर पिचाई आज Google और Alphabet Inc. के सीईओ हैं, लेकिन उनका सफर साधारण परिवेश से शुरू होकर अपार मेहनत और लगन से बना है। तमिलनाडु के मदुरै में जन्में मीडिकल क्लास फैमिली में पले‑बढ़े इस युवक ने शिक्षा, जिज्ञासा और धैर्य को अपना जीवन मंत्र बनाया। आइए जानें कि कैसे एक साधारण भारतीय लड़का दुनिया की सबसे प्रभावशाली टेक कंपनियों का मुखिया बना।
कैसा था बचपन
1970 के दशक में मदुरै का वातावरण विपरीत परिस्थितियों से भरा था। सुंदर के पिता रघुनाथ पिचाई ब्रिटिश कंपनी जीईसी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे, जबकि मां लक्ष्मी पिचाई स्टेनोग्राफर थीं। परिवार का घर छोटा‑सा था, दो कमरों के इसी मकान में किराएदार भी रहते थे। सुंदर अकसर बैठक के फर्श पर सोते थे। बरसों तक रेफ्रिजरेटर न होने के कारण खाना जल्दी बिगड़ जाता, सूखे के दिनों में पानी भी मुश्किल से मिलता। इन हालातों ने उन्हें सादगी, किफायत और शिक्षा का महत्व सिखाया। वग शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे और गणित‑विज्ञान में गहरी रुचि रखते थे।
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शिक्षा को दी प्राथमिकता
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के बावजूद सुंदर के अंकों का रिकॉर्ड शानदार रहा। दसवीं में राज्य‑स्तर की मेरिट सूची में नाम आया। बारहवीं के बाद उन्होंने इंजीनियर बनने की ठानी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की प्रवेश परीक्षा क्रैक कर ली। इस सफलता ने उनके परिवार के सपनों को पंख दिए।
सीख, संघर्ष और प्रेम
IIT खड़गपुर में सुंदर ने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। दक्षिण भारत से होने के कारण हिंदी समझने में उन्हें काफी दिक्कत हुई। उन्होंने एक इंटरव्यू में मजाकिया अंदाज में बताया कि मेस में गलत हिंदी बोल देने से हल्का‑फुल्का हंगामा मच गया था। पहले साल एक विषय में ‘C’ ग्रेड और CGPA कम रहने से मन खराब हुआ, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अगले तीन सालों में उन्होंने निरंतर मेहनत कर रैंक सुधार ली। इन्हीं दिनों हॉस्टल में उनकी मुलाकात अंजलि से हुई। दोनों की दोस्ती जल्द ही गहरे भरोसे में बदली। सुंदर दोस्तों की मदद से अंजलि को हॉस्टल से बुलवाते थे। बाद में दोनों ने शादी कर ली।
अंतरराष्ट्रीय उड़ान
ग्रेजुएशन के बाद सुंदर को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में मैटेरियल साइंस और इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने का अवसर मिला। अमेरिका जाने के लिए सुंदर के पिता ने कर्जा लेकर भेजा। स्टैनफोर्ड ने सुंदर को cutting‑edge रिसर्च और विश्वस्तरीय प्रोफेसरों से रूबरू कराया। इसके बाद उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से MBA किया, जहां Siebel Scholar और Palmer Scholar जैसे प्रतिष्ठित सम्मान हासिल किए। इस दौर में उन्होंने वैश्विक कारोबार, उत्पाद रणनीति और नेतृत्व कौशल सीखे।
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Google में प्रवेश
2004 में सुंदर ने गूगल जॉइन किया। शुरुआत में उनका काम गूगल टूलबार पर था, जिसकी मदद से यूजर्स सीधे ब्राउजर से सर्च कर पाते थे। यहीं उन्हें एहसास हुआ कि वेब ब्राउजिंग का अनुभव बेहतर बनाया जा सकता है और उन्होंने एक तेज, सुरक्षित और सरल ब्राउजर की कल्पना की। यही विचार बाद में Google Chrome बना।
Chrome की सफलता और बढ़ती जिम्मेदारिया
2008 में Chrome लॉन्च होते ही काफी फेमस हुआ। इसकी सफलता ने सुंदर को अचानक सुर्खियों में ला दिया। आगे चलकर उन्हें Gmail और Google Maps को विकसित करने की जिम्मेदारी मिली। जब गूगल ने 2013 में Android डिविजन का नेतृत्व देने का निर्णय लिया, तो सुंदर पिचाई पसंद बने। Android को अरबों फोनों में फैला कर उन्होंने गूगल को मोबाइल क्रांति का अगुआ बना दिया। उनकी लीडरशिप स्टाइल खास है।
2015: Google के सीईओ
Chrome और Android की सफलता के बाद गूगल के सह‑संस्थापकों लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने 2015 में सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ नियुक्त किया। इस फैसले ने भारतीय मूल के लोगों में खास गर्व की लहर जगाई। सुंदर ने गोपनीयता, AI और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में गूगल को नई दिशा दी।
2019: अल्फाबेट की कमान
2019 में जब गूगल ने अपनी होल्डिंग कंपनी Alphabet Inc. बनाई, लैरी पेज सर्गेई ब्रिन ने संचालन से दूरी लेकर सुंदर पिचाई पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, सुंदर हर दिन विनम्रता और तकनीक के प्रति जुनून लेकर आते हैं। उनके बिना गूगल और अल्फाबेट की अगली यात्रा की कल्पना नहीं की जा सकती।
आज की स्थिति: संपत्ति, दृष्टि और प्रभाव
Forbes के अनुसार, सुंदर पिचाई की नेट वर्थ लगभग 1.1 बिलियन डॉलर है, लेकिन वह सादगी और दया से भरे नेता हैं। वे नए‑नए उत्पादों और AI‑आधारित समाधानों पर जोर देते हैं, साथ‑ही पर्यावरण के लिए कार्बन‑न्यूट्रल लक्ष्य तय करते हैं। कर्मचारी उन्हें सहानुभूतिपूर्ण श्रोता मानते हैं जो फैसले लेते वक्त विविध रायों को महत्व देते हैं।