Google अब 20 मिलियन डॉलर का निवेश करके भारत और एशिया के दूसरे हिस्सों में साइबर क्लिनिक खोलने जा रहा है।
Safety Charter Launched: भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। लोग हर काम करने के लिए अब इंटरनेट पर डिपेंड हो चुके हैं, लेकिन इसके साथ-साथ साइबर ठगी और ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। इसी को देखते हुए Google ने भारत में लोगों की डिजिटल सुरक्षा के लिए एक नया और बड़ा कदम उठाया है।
क्या है Safety Charter?
Google ने ‘Safer with Google India Summit’ में Safety Charter नाम की स्कीम शुरु की। इसका मकसद भारत को एक डिजिटल रूप से सुरक्षित देश बनाना है। Google का कहना है कि जब तक लोग इंटरनेट पर सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे, तब तक डिजिटल भरोसा नहीं बन पाएगा।
AI तकनीक से पकड़े जाएंगे फ्रॉड
Google India की कंट्री मैनेजर ने बताया कि कंपनी एक ऐसे AI सिस्टम पर काम कर रही है, जो नई तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी को खुद पहचान सकेगा। यानी ऐसे फ्रॉड भी पकड़े जाएंगे जो पहले कभी नहीं देखे गए हों। इस योजना के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:-
- लोगों को ऑनलाइन ठगी से बचाना
- सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं की साइबर सुरक्षा को मजबूत करना
- AI तकनीक का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना
क्या है Digiwatch?
Google की एक पहल Digiwatch पहले से ही काम कर रही है। इसके जरिए अब तक 177 मिलियन भारतीयों को ऑनलाइन ठगी से बचाने में मदद मिली है। Google Play Protect ने 6 करोड़ खतरनाक ऐप्स को इंस्टॉल होने से रोका है। Google Pay ने 2024 में अकेले 13,000 करोड़ रुपये की फ्रॉड रोकने में मदद की। वहीं, 4.1 करोड़ बार ट्रांजैक्शन से पहले ही अलर्ट भेजकर लोगों को बचाया गया
साइबर क्लिनिक खोलने की योजना
Google अब 20 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट कर भारत और एशिया के दूसरे हिस्सों में साइबर क्लिनिक खोलने जा रहा है। ये क्लिनिक आम लोगों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जानकारी देंगे। Google , IIT मद्रास के साथ मिलकर क्वांटम तकनीक पर रिसर्च कर रहा है। इसके साथ ही देशभर की यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर छात्रों और छोटे कारोबारियों को साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग देने की योजना भी शुरू की गई है।
AI बना सुरक्षा का नया हथियार
Google की सिक्योरिटी इंजीनियरिंग वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि AI अब सिर्फ एक तकनीक नहीं बल्कि एक सुरक्षा हथियार बन गया है। पहले हम तब प्रतिक्रिया देते थे, जब हमला हो चुका होता था, लेकिन अब AI की मदद से पहले से ही संभावित खतरे को समझा जा सकता है।