भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन Gaganyaan के लिए ISRO ने सफल एयर-ड्रॉप टेस्ट किया, जिसमें परिक्षण से यह सुनिश्चित हुआ कि अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी सुरक्षित और निर्बाध होगी।
ISRO Mission: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम Gaganyaan के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए, ISRO ने रविवार को पहला Integrated Air Drop Test (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य पैराशूट आधारित डिकेलेरेशन सिस्टम की क्षमता को जाँचना था, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करेगा। यह महत्वपूर्ण परीक्षण सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC), श्रीहरिकोटा में आयोजित किया गया।
टेस्ट में भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना, DRDO और भारतीय तटरक्षक ने सहयोग किया, जो इस राष्ट्रीय मिशन की एकता और तैयारी को दर्शाता है। आईएएफ के Chinook हेलीकॉप्टर ने लगभग 4.8 टन वजन वाले सिम्युलेटेड क्रू मॉड्यूल को 3 किलोमीटर ऊँचाई तक पहुँचाया।
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रिलीज़ होते ही मॉड्यूल के ऑनबोर्ड एवीओनिक्स ने पैराशूट तैनाती शुरू की। सबसे पहले Apex Cover Separation (ACS) मोर्टार ने सुरक्षा कवर हटा दिया। इसके बाद दो ड्रोग पैराशूट्स मॉड्यूल की गति धीमी करने लगे। स्थिर होने पर तीन पायलट पैराशूट्स ने मुख्य 25 मीटर व्यास वाले पैराशूट्स को खोला, जिससे मॉड्यूल की गति केवल 8 मीटर प्रति सेकंड रह गई और सुरक्षित स्प्लैशडाउन दिखाया गया।
पैराशूट टचडाउन के बाद पाइरो-सिस्टम द्वारा उन्हें रिलीज़ किया गया। परीक्षण के बाद INS Anvesha की नौसेना टीम ने मॉड्यूल को बंगाल की खाड़ी से उठाकर चेन्नई पोर्ट पहुंचाया। इस दौरान सभी डेटा को सुरक्षित रिकॉर्ड और ग्राउंड स्टेशन को ट्रांसमिट किया गया।
टेस्ट से पहले डमी मॉड्यूल्स के साथ रिहर्सल और मॉडलिंग की गई थी और इसे Test Authorisation Board की मंजूरी के बाद किया गया।
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ISRO ने बताया कि आने वाले महीनों में विभिन्न परिस्थितियों में ऐसे और परीक्षण किए जाएंगे। इस तरह, Gaganyaan कार्यक्रम दिसंबर में अमानवित लॉन्च और 2028 में मानवित मिशन की ओर एक कदम और करीब पहुँच रहा है, जो भारत को अंतरिक्ष में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।