टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम के उपयोग की मंजूरी सिर्फ एक टेक्निकल फैसला नहीं, बल्कि यह भारत के तकनीकी भविष्य की बुनियाद है।
Driverless Cars in India: अब वो दिन दूर नहीं जब भारत की सड़कों पर भी बिना ड्राइवर की कारें दौड़ती नजर आएंगी। सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ड्राइवरलेस कारों और 6G जैसी मॉर्डन टेक्नोलॉजी के लिए रास्ता खोल दिया है। हाल ही में केंद्र सरकार के सचिवों के समूह ने TRAI की सिफारिशों को मानते हुए टेरा हर्ट्ज (THz) स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी डिजिटल इंडिया और भविष्य की तकनीकों को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम क्या है?
टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम एक खास तरह की हाई-फ्रीक्वेंसी वेव है, जिसकी सीमा 95 GHz से लेकर 3 THz तक होती है। यह स्पेक्ट्रम बहुत तेज डाटा ट्रांसमिशन की क्षमता रखता है और इसका उपयोग अत्याधुनिक तकनीकों में किया जाता है। खासकर ड्राइवरलेस कार, 6G नेटवर्क, स्मार्ट सेंसर और रोबोटिक्स, ऑटोमोटिव रडार और ऑटोमेशन सिस्टम। इन क्षेत्रों में टेरा हर्ट्ज स्पेक्ट्रम की ज़रूरत होती है।
कंपनियों को क्या फायदा मिलेगा?
इस नई नीति के तहत टेक कंपनियां सिर्फ 1,000 रुपये की फीस देकर इस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर सकेंगी। यह उपयोग 5 साल तक के लिए वैध होगा और इसका मकसद रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
अब जब मंजूरी मिल चुकी है, तो अगला कदम दूरसंचार विभाग के द्वारा इस स्पेक्ट्रम के उपयोग से जुड़ी विस्तृत गाइडलाइंस जारी करना होगा। इन नियमों के आने के बाद कंपनियां आधिकारिक तौर पर ड्राइवरलेस वाहनों और 6G नेटवर्क जैसी तकनीकों के परीक्षण शुरू कर सकेंगी।
इससे देश को क्या फायदे होंगे?
- भविष्य की तकनीकें भारत में ही विकसित हो सकेंगी, जिससे आत्मनिर्भर भारत के सपने को मजबूती मिलेगी।
- ड्राइवरलेस वाहनों की सेफ्टी और नेटवर्क टेस्टिंग भारत में ही हो पाएगी, जिससे विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता घटेगी।
- भारत की ग्लोबल टेक्नोलॉजी रेस में भागीदारी बढ़ेगी, जिससे निवेश और रोजगार दोनों में वृद्धि होगी।
- स्टार्टअप्स और रिसर्च कंपनियों को कम बजट में बड़े प्रयोग करने का मौका मिलेगा।
- डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे सरकारी अभियानों को नई दिशा मिलेगी।