क्या AI बन सकता है आपका थैरेपिस्ट? जानिए चैटबॉट्स कैसे तैयार करते हैं जवाब

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क्या AI बन सकता है आपका थैरेपिस्ट? जानिए चैटबॉट्स कैसे तैयार करते हैं जवाब
June 12, 2025

ChatGPT और दूसरे AI चैटबॉट से बात करना कभी-कभी अच्छा महसूस करा सकता है, लेकिन इन्हें थैरेपिस्ट समझना खतरनाक हो सकता है।

ChatGPT: आजकल दुनियाभर में बहुत से लोग ChatGPT और अन्य AI चैटबॉट से बातचीत करने लगे हैं। कुछ लोग तो इन्हें अपने थैरेपिस्ट की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं क्योंकि ये Chatbot 24×7 उपलब्ध रहते हैं, कभी थकते नहीं, और जवाब भी बहुत जल्दी देते हैं, लेकिन क्या वाकई में ये मानसिक स्वास्थ्य के लिए भरोसेमंद हो सकते हैं?

AI थैरेपिस्ट की तरह क्यों दिखता है?

जब आप ChatGPT से सवाल पूछते हैं जैसे ‘मैं तनाव में कैसे शांत रहूं?’, तो AI एकदम तेजी से जवाब देता है। वो ऐसे शब्दों का चुनाव करता है, जो इंटरनेट पर मौजूद जानकारी से सीखा गया है। जवाब सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई इंसान बात कर रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ये चैटबॉट इंसान नहीं होते। ये मानसिक स्वास्थ्य के प्रशिक्षित प्रोफेशनल भी नहीं होते। इनके जवाब इंटरनेट पर पब्लिक डाटा से आए होते हैं, न कि किसी डॉक्टर की ट्रेनिंग या अनुभव से।

AI कैसे जवाब तैयार करता है?

AI मॉडल तीन मुख्य सोर्स से जानकारी जुटाता है।

  • पुराना इंटरनेट ज्ञान: AI को ट्रेनिंग देने के लिए डेवलपर्स उसे लाखों वेबसाइट, ब्लॉग, न्यूज और अकादमिक लेखों से जानकारी पढ़ाते हैं, लेकिन ये जानकारी कभी-कभी पुरानी होती है और जरूरी नहीं कि हर बार वैज्ञानिक आधार पर सही हो।
  • बाहरी ऑनलाइन सोर्स: कुछ चैटबॉट जैसे बिंग या Google बार-बार इंटरनेट से नया डेटा खींचते हैं। इसलिए वे कुछ हद तक अपडेटेड होते हैं। फिर भी, इनमें मानवीय समझ या गहराई की कमी होती है।
  • आपकी दी गई जानकारी: जैसे आपने चैट में जो बातें पहले कहीं हैं, या आपके नाम, उम्र, लोकेशन जैसी प्रोफाइल डिटेल। ये सब AI याद रख सकता है। इसी आधार पर वह बातों में ‘हां में हां’ मिलाता है, जिससे यूजर को लगे कि AI उसे समझता है।

क्या AI आपकी मदद कर सकता है?

अगर आप हल्का तनाव महसूस कर रहे हैं और कोई सुनने वाला नहीं है, तो AI से बात करके राहत मिल सकती है। वह आपको ब्रीदिंग एक्सरसाइज या मोटिवेशनल लाइन भी दे सकता है।

क्यों नहीं कर सकता थैरेपी?

  • कोई पेशेवर ट्रेनिंग नहीं होती: AI सिर्फ सीखी हुई बातें दोहराता है, किसी इंसान की तरह सोच नहीं सकता।
  • भावनात्मक समझ नहीं होती: AI को फर्क नहीं पड़ता कि आपकी हालत कैसी है। वह बस टेक्स्ट के आधार पर जवाब देता है।
  • हर बात से सहमत होता है: जबकि एक असली थैरेपिस्ट आपकी सोच को चुनौती भी देता है, ताकि आप बेहतर समझ बना सकें।

क्या करें?

अगर आपको कभी बहुत ज्यादा तनाव, एंग्जायटी या डिप्रेशन महसूस हो, तो प्रोफेशनल काउंसलर या साइकॉलजिस्ट की मदद लें। AI चैटबॉट एक टूल हो सकता है, लेकिन इंसान की जगह नहीं ले सकता।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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