AI इंटरनेट पर वायरल होने वाले मीम्स तो ठीक-ठाक बना लेता है, लेकिन ऐसे जोक्स क्रैक नहीं कर पाता जो लोगों को लोटपोट कर दें।
AI and Human Jokes: AI हर काम में इंसानों की जगह ले रहा है। आजकल AI इंसानों की तरह बोल सकता है, सवालों के जवाब दे सकता है। इसके अलावा इंसानों की तरह सोचने-समझने वाले मॉडल्स भी तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन एक ऐसा सेक्टर है जहां अभी तक AI पहुंच नहीं पाया है। इस सेक्टर में अब तक AI ने इंसानो की जगह नहीं ली है।
वैसे… AI इंटरनेट पर वायरल होने वाले मीम्स तो ठीक-ठाक बना लेता है, लेकिन ऐसे जोक्स क्रैक नहीं कर पाता जो लोगों को लोटपोट कर दें। जॉनी लीवर, राजपाल यादव या कपिल शर्मा जैसे कॉमेडियन की तरह ह्यूमर क्रिएट करना अभी AI के लिए मुमकिन है।
रिसर्च क्या कहती है?
रिपोर्ट के मुताबिक, KTH Royal Institute of Technology, LMU Munich और TU Darmstadt के रिसर्चर्स ने मिलकर इस विषय पर एक स्टडी की है। इस स्टडी के जरिए यह जानना है कि जोक्स और मीम्स बनाने के मामले में इंसान और AI की क्या भूमिका है और इसमें कौन बेहतर है। स्टडी में शामिल Zhikun Wu का कहना है कि AI बहुत तेजी से ढेरों नए आइडिया जरूर दे देता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में कंटेंट जनरेट करने का मतलब यह नहीं कि उसकी क्वालिटी भी उतनी ही दमदार होगी। रिसर्चर्स ने तीन अलग-अलग ग्रुप बनाएं। इसमें सिर्फ AI वाला ग्रुप, सिर्फ इंसानों वाला ग्रुप और AI और इंसानों का साझा ग्रुप शामिल किया गया।
क्या निकला नतीजा?
- AI ने कुछ क्रिएटिव मीम्स तो बनाए, लेकिन उनमें इमोशनल कनेक्शन नहीं था जो एक अच्छे जोक में होता है। लोगों ने इसे देखा तो जरूर, लेकिन इससे ज्यादा देर तक प्रभावित नहीं हुए।
- सबसे मजेदार और दिलचस्प जोक्स इंसानों ने ही बनाए। ये जोक्स लोगों को लंबे समय तक याद रहे और सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हुए।
- जब इंसानों और AI ने मिलकर पंचलाइन बनाई, तो उनके बनाए जोक्स सबसे ज्यादा शेयर किए गए। इसमें AI के फास्ट आइडिया और इंसानों की समझदारी का मेल था, जिसने कंटेंट को और मजेदार बना दिया।
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आखिर AI पीछे क्यों रह गया?
जब कोई कॉमेडियन स्टेज पर जोक सुनाता है, तो उसमें एक सरप्राइज एलिमेंट होता है। सोशल कॉन्टेक्सट जुड़ा होता है और इमोशन की परतें भी होती हैं। AI अभी तक उस गहराई तक नहीं पहुंच पाया है, जहां इंसानी सोच काम करती है।