मार्क जुकरबर्ग की एक बड़ी योजना को मधुमक्खियों की वजह से रोकना पड़ा है। अमेरिका में एक ऐसी जगह पर AI डेटा सेंटर बनाने जा रहे थे, जहां से उन्हें परमाणु ऊर्जा मिल सके।
AI Data center : मधुमक्खियों ने मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की एक बड़ी योजना को रोक दिया है। जुकरबर्ग अमेरिका में एक ऐसी जगह पर AI डेटा सेंटर बनाने जा रहे थे, जहां न्यूक्लियर पावर आसानी से मिल सके, लेकिन इस प्लांट की साइट पर मधुमक्खियां पाई गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते एक कर्मचारी ने बताया था कि अब इस प्रोजेक्ट में आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो गया है, क्योंकि वहां मधुमक्खियों की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज हुई है, जिसके कारण कंपनी को कई नियमों का पालन करना होगा।
जुकरबर्ग तलाश रहें आगे का रास्त
जुकरबर्ग ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि अगर यह डील आगे बढ़ जाती तो Meta के पास अपना पहला परमाणु ऊर्जा से चलने वाला AI डेटा सेंटर होता। वहीं, अगर कंपनी कोई रास्ता खोज लेती है, तो इसे अभी भी आगे बढ़ाया जा सकता है।हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी कंपनी को जल्द ही आगे बढ़ना होगा क्योंकि उसके प्रतिस्पर्धी भी परमाणु ऊर्जा में निवेश कर रहे हैं।
Google, Amazon और Microsoft भी कर रही काम
Google ने 2030 से अपने डेटा सेंटरों को बिजली देने के लिए सात छोटे न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की घोषणा की है। परमाणु रिएक्टर बनाने के लिए स्टार्टअप कैरोस पावर के साथ मिलकर काम शुरू हो चुका है। Amazon और Microsoft ने भी इसमें काम करना शुरू कर दिया है।
क्या है AI डेटा सेंटर
AI डेटा सेंटर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े काम पूरे करने के लिए बनाए गए हैं। इन सेंटर में बड़े पैमाने पर कंप्यूटिंग सिस्टम होते हैं। इस कंप्यूटिंग का इस्तेमाल जटिल मशीन लर्निंग मॉडल और एल्गोरिदम बनाने और इस्तेमाल करने में किया जाता है। AI डेटा सेंटर में हाई-परफॉर्मेंस सर्वर, स्टोरेज सिस्टम, नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर आदि होते हैं। ऐसे में उन्हें बिजली की ज्यादा जरूरत होती है, जिसके लिए कंपनियां मिनी न्यूक्लियर प्लांट बना रही हैं।