AI तकनीक ने हमारी दुनिया को बदल दिया है, लेकिन इसके साथ-साथ खतरे भी बढ़ गए हैं।
Fake AI Video: आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देखकर आप भी कहेंगे ‘क्या ये सच है?’ जब असली-नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाए, तो समझ लीजिए खतरा बढ़ गया है। AI तकनीक से बनाए गए ऐसे वीडियो अब इतने रियल लगते हैं कि आम इंसान उनके झांसे में आसानी से आ जाता है। तकनीक से बनाए गए ऐसे वीडियो अब इतने रियल लगते हैं कि आम इंसान उनके झांसे में आसानी से आ जाता है।
क्या है मामला?
हाल ही में एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें एक शेर, गुजरात की सड़क पर सोए हुए व्यक्ति को सूंघकर आगे बढ़ जाता है। यह वीडियो देखकर हर कोई चौंक गया, लेकिन जब इसकी सच्चाई सामने आई तो पता चला कि यह वीडियो AI तकनीक से बना है। यह सिर्फ एक यूट्यूब चैनल का कंटेंट था, जिसने बायो में छोटे अक्षरों में लिखा था कि AI-assisted designs यानी यह वीडियो पूरी तरह कंप्यूटर से तैयार किया गया है।
क्यों तेजी से फैलते हैं ऐसे वीडियो?
AI वीडियो की खासियत ये है कि वे बहुत ज्यादा ड्रामेटिक होते हैं। ऐसे वीडियो लोगों को चौंकाते हैं और सोशल मीडिया पर तुरंत ध्यान खींचते हैं। प्लेटफॉर्म्स के एल्गोरिदम जैसे Instagram, Youtube, Facebook ऐसे वीडियो को और ज़्यादा लोगों तक पहुंचाते हैं क्योंकि इन्हें देखकर लोग ज्यादा समय तक ऐप पर टिकते हैं।
मनोरंजन या धोखा?
90% AI वीडियो सिर्फ मज़े और मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन असली खतरा तब होता है जब ये वीडियो सामाजिक या राजनीतिक एजेंडा फैलाने के लिए बनाए जाएं।
पहचानना हो रहा है मुश्किल
AI वीडियो अब इतने परफेक्ट बन चुके हैं कि असली-नकली का फर्क करना मुश्किल हो गया है। एक्सपर्ट्स तक कई बार धोखा खा जाते हैं। ऐसे में आम यूजर के लिए यह और भी कठिन हो जाता है कि वो सच-झूठ को पहचान सके। बड़े प्लेटफॉर्म अब सिर्फ ‘हानिकारक’ कंटेंट को हटाते हैं, लेकिन हर AI वीडियो को चिह्नित नहीं कर पाते।
हर कोई बना रहा है AI वीडियो
AI टूल्स से अब बच्चे, स्टूडेंट्स, यहां तक कि सरकारी संस्थाएं भी फेक वीडियो बना रही हैं। कुछ तो बस वायरल होने के लिए, तो कुछ जानबूझकर लोगों को गुमराह करने के लिए।
क्या है समाधान?
AI वीडियो के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब सख्त नियम और तकनीकी उपायों की जरूरत है। एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि वीडियो अपलोड करते समय उसके वेरिफिकेशन की जांच करने वाली तकनीक C2PA जैसे टूल्स को अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही, आम यूजर्स को भी जागरूक होना पड़ेगा।
सावधान रहें, सोच-समझकर शेयर करें
अब यह जरूरी हो गया है कि हम किसी भी वीडियो को देखने के बाद तुरंत उस पर भरोसा न करें। सोचें कि क्या यह असल हो सकता है? क्या किसी भरोसेमंद न्यूज़ चैनल ने इसकी पुष्टि की है? क्या इसका सोर्स साफ है? अगर नहीं, तो उसे शेयर करने से बचें। वरना आप भी किसी फेक खबर को फैलाने का हिस्सा बन सकते हैं।