क्या है सैटेलाइट कनेक्टिविटी? जानें कैसे काम करता है

6 mins read
1K views
Apple
January 31, 2025

Apple, Google और Samsung ने अपने डिवाइस में यह फीचर शामिल किया है। इसमें आप उन इलाकों में भी इमरजेंसी SOS भेज सकते हैं।

Satellite Communication: आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन न केवल कम्युनिकेशन टूल हैं, बल्कि स्टेटस सिंबल भी हैं। अब ये हमारी जीवनशैली का अहम हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में कंपनियां अक्सर अपने प्रोडक्ट को बेहतर बनाने की दिशा में काम करती रहती हैं। 2022 में Apple ने अपने iPhone 14 सीरीज के साथ सैटेलाइट कम्युनिकेशन सुविधा दी थी।

इसकी मदद से आप बिना नेटवर्क के भी इमरजेंसी SOS मैसेज भेज सकते हैं। इसके कुछ समय बाद ही Google और Samsung ने भी अपने डिवाइस में यह फीचर जोड़ दिया है। हालांकि, यह प्रीमियम फीचर अभी कुछ ही डिवाइस में जोड़ा गया है। अब Apple इस तकनीक को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। कंपनी SpaceX और T-Mobile के साथ मिलकर Starlink सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए कनेक्टिविटी दे रही है।

सैटेलाइट कम्युनिकेशन क्या है

सैटेलाइट कम्युनिकेशन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो फोन को सैटेलाइट नेटवर्क से जोड़ती है। ऐसे तो मोबाइल नेटवर्क सेल टावरों पर डिपेंड करते हैं, लेकिन सैटेलाइट कनेक्टिविटी लो अर्थ ऑर्बिट में स्थित सैटेलाइट का यूज करती है। यह टेक्नोलॉजी उन क्षेत्रों में भी कम्युनिकेशन की सुविधा प्रदान करती है, जहां सेलुलर नेटवर्क नहीं है।

सैटेलाइट कम्युनिकेशन के साथ नेटवर्क कवरेज न होने पर भी आपातकालीन SOS मैसेज की सुविधा मिलती है। जंगल, पहाड़, समुद्र और दुर्गम स्थानों पर कम्युनिकेशन संभव है। वर्तमान में केवल टेक्स्ट मैसेजिंग तक सीमित इस टेक्नोलॉजी को भविष्य में वॉयस कॉल और डेटा ट्रांसमिशन तक बढ़ाया जा सकता है।

इन कंपनियों ने अपनाई टेक्नोलॉजी

अमेरिका में कई टेलीकॉम कंपनियां सैटेलाइट सेवाओं के लिए सैटेलाइट कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही हैं। T-Mobile US और SpaceX चुनिंदा iPhones और Android डिवाइस के लिए Starlink सैटेलाइट नेटवर्क को अनेबल करने पर काम कर रहे हैं। Verizon, Skylo के जरिए Google Pixel 9 के सैटेलाइट SOS फीचर को अनेबल कर रहा है।

भारत में कैसा है सैटेलाइट कम्युनिकेशन

अमेरिका में कई टेलीकॉम कंपनियां सैटेलाइट सेवाओं के लिए सैटेलाइट कंपनियों के साथ साझेदारी कर रही हैं। T-Mobile US और SpaceX चुनिंदा iPhones और Android डिवाइस के लिए Starlink सैटेलाइट नेटवर्क को अनेबल करने पर काम कर रहे हैं। Verizon, Skylo के जरिए Google Pixel 9 के सैटेलाइट SOS फीचर को अनेबल कर रहा है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Smartphone
Previous Story

ASER Report 2024: लड़के या लड़कियां ज्यादा Smartphone कौन यूज करता है?

Union Budget 2025
Next Story

Budget 2025: स्मार्टफोन, टीवी से लेकर AI में क्या-क्या होंगे बदलाव?

Latest from Latest news

‘जुकरबर्ग का 77 बिलियन डॉलर Metaverse में फेल’

‘जुकरबर्ग का 77 बिलियन डॉलर Metaverse में फेल’

Meta Metaverse Loss: इकोनॉमिस्ट डीन बेकर ने Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग के Metaverse निवेश की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जुकरबर्ग ने 77 बिलियन डॉलर ‘टॉयलेट में फेंक दिए’, जो एक गलत और बेकार निवेश था। अपने न्यूजलेटर में बेकर ने लिखा है कि Meta का Metaverse प्रोजेक्ट केवल एक सामान्य गलत निवेश निर्णय था, जैसा कि कंपनियां समय–समय पर करती हैं।  Meta के Metaverse में भारी निवेश पर आलोचना, 77 बिलियन डॉलर का सवाल और AI स्टार्टअप Manus अधिग्रहण से जुकरबर्ग का अगला कदम।  बेकर का मानना है कि इस निवेश का नुकसान सिर्फ Meta की किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए भी भारी लागत साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स, प्लानर्स और सपोर्ट स्टाफ के साथ–साथ ऑफिस स्पेस, कंप्यूटर और बिजली जैसे संसाधनों का भी इस्तेमाल हुआ है। अगर ये संसाधन अन्य उत्पादक क्षेत्रों में लगाए जाते, तो समाज के लिए ज्यादा लाभकारी साबित होते।   बेकर ने यह भी चेतावनी दी है कि AI निवेश का तेजी से बढ़ना अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। यह टैलेंट को अवशोषित कर रहा है और पावर ग्रिड्स पर दबाव बढ़ा रहा है, जिससे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो जाता है।  ‘Meta की तीसरी सबसे बड़ी खरीदारी’  Meta ने हाल ही में चाइनीज AI स्टार्टअप Manus को खरीदने कि घोषणा की है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह Meta की तीसरी सबसे बड़ी अधिग्रहण डील है। WhatsApp और ScaleAI के बाद यह कदम CEO जुकरबर्ग की एडवांस्ड AI में आक्रामक निवेश नीति को दर्शाता है, ताकि Meta Google और OpenAI जैसी कंपनियों से मुकाबला कर सके।  READ MORE: Meta में शामिल हुआ Manus, अब AI करेगा असली काम  Meta ने कहा है कि Manus की सर्विस को ऑपरेट और सेल किया जाएगा और इसके तकनीक को Meta AI चैटबोट और अन्य प्रोडक्ट्स में जोड़ा जाएगा। Manus को लीडिंग ऑटोनोमस जनरल पर्पज AI एजेंट माना जाता है, जो मार्केट रिसर्च, कोडिंग और डेटा एनालिसिस जैसे काम कर सकता है।  READ MORE: Meta ने लॉन्च किया 24/7 सपोर्ट हब, FB-Instagram यूजर्स को मिली सुविधा  इस तरह, Meta ने Metaverse में बड़े निवेश के कारण आलोचना झेली, लेकिन AI में बड़ा कदम उठाकर तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है। 

Don't Miss