‘World’ सिस्टम न सिर्फ AI बॉट्स और फर्जी यूजर्स की पहचान रोकने में मदद करेगा, बल्कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित पहचान प्रणाली की दिशा में एक बड़ा कदम है।
World Launched: आज के डिजिटल युग में AI तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल भी सामने आया है। क्या हम वाकई इंसान से बात कर रहे हैं या किसी AI से? इसी चिंता को दूर करने के लिए OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन और Tools for Humanity के चीफ आर्किटेक्ट एड्रियन लुडविग ने एक नया वेरिफिकेशन सिस्टम World लॉन्च किया है।
क्या है ‘World’ और कैसे काम करता है?
‘World’ एक नया डिजिटल ID वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी प्लेटफॉर्म पर मौजूद व्यक्ति असली इंसान है, न कि कोई AI बॉट। इसके लिए एक खास डिवाइस ‘Orb’ का इस्तेमाल किया जाता है। यह डिवाइस गोल आकार की होती है और यह व्यक्ति की आंख को स्कैन करके एक यूनिक कोड जनरेट करती है। यही कोड साबित करता है कि सामने वाला एक असली इंसान है या नहीं।
कहां हो रहा है लॉन्च?
यह सिस्टम इस हफ्ते यूनाइटेड किंगडम में लॉन्च हो रहा है। इसकी शुरुआत लंदन से की जा रही है, जहां गुरुवार से यह डिवाइस आम लोगों के लिए मौजूद होगी। इसके बाद इसे ब्रिटेन के दूसरे प्रमुख शहरों जैसे मैनचेस्टर, बर्मिंघम, कार्डिफ, बेलफास्ट और ग्लासगो में भी रोलआउट किया जाएगा।
क्या है World ID?
जब कोई व्यक्ति Orb डिवाइस से अपनी पहचान वेरीफाई करता है, तो उसे एक ‘World ID’ मिलती है। इसका यूज वह व्यक्ति अलग-अलग ऐप्स और वेबसाइट्स में लॉग-इन करने के लिए कर सकता है, जिससे यह पुष्टि होती है कि यूजर एक इंसान है। इसके साथ ही यूजर को WLD नामक cryptocurrency का एक छोटा हिस्सा भी गिफ्ट में दिया जाता है। फिलहाल यह तकनीक Minecraft, Reddit और Discord जैसे फेमस ऐप्स में यूज हो रही है।
क्यों है इसकी जरूरत?
आज के समय में AI के जरिये बनाए गए फर्जी अकाउंट, deepfake वीडियो और पहचान की चोरी जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यही वजह है कि ‘World’ जैसे वेरिफिकेशन सिस्टम की मांग तेजी से बढ़ रही है। लुडविग के मुताबिक, अब सरकारें और बड़ी कंपनियां ऐसे सिस्टम्स में रुचि दिखा रही हैं, ताकि वह अपनी पहचान प्रणाली को ज्यादा सुरक्षित बना सकें।
डेटा की प्राइवेसी का क्या?
लोगों की सबसे बड़ी चिंता है कि क्या इस स्कैन से जुड़ा डेटा सुरक्षित है? इस पर कंपनी का कहना है कि World सिस्टम व्यक्ति के बायोमेट्रिक डेटा को एन्क्रिप्ट करता है और स्कैन के बाद ऑरिजिनल डेटा को डिलीट कर दिया जाता है। साथ ही, यह वेरिफिकेशन cloud की बजाय यूजर के स्मार्टफोन पर होता है, जिससे डेटा लीक की संभावना कम हो जाती है।
भारत के आधार से तुलना
भारत का आधार प्रोग्राम डिजिटल पहचान का सबसे बड़ा उदाहरण है। हालांकि, इसे व्यापक रूप से अपनाया गया है, फिर भी यह कई बार सुरक्षा और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों को लेकर आलोचना का शिकार हो रहा है। लुडविग का मानना है कि World जैसे सिस्टम भविष्य में सरकारों के लिए आधारभूत पहचान ढांचे को मजबूत करने का एक अहम जरिया बन सकते हैं।