Google पर अचानक क्यों ट्रेंड कर रहे भारतीय इंजीनियर सोहम पारेख?

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Google पर अचानक क्यों ट्रेंड कर रहे भारतीय इंजीनियर सोहम पारेख?
July 3, 2025

सोहम पारेख इस समय कोडिंग या इनोवेशन के लिए नहीं, बल्कि धोखेबाजी और मूनलाइटिंग के लिए चर्चा में हैं।

Indian engineer Soham Parekh: इस हफ्ते जहां एक तरफ AI कंपनियों में बड़ी भर्तियों की खबरें थीं। वहीं, दूसरी ओर कई टेक कंपनियों में छंटनी ने भी सुर्खियां बटोरीं। इन सबके बीच सोहम पारेख हर टेक टाइमलाइन पर छा गए। भारत से ताल्लुक रखने वाले इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर पर एक ऐसा आरोप लगा जिसने पूरी स्टार्टअप इंडस्ट्री को हिला दिया।

क्या है मूनलाइटिंग विवाद?

मूनलाइटिंग का मतलब होता है एक ही समय में दो या दो से ज्यादा नौकरियां करना, वो भी बिना कंपनी को बताए। यही आरोप सोहम पारेख पर लगा है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब मिक्सपैनल (Mixpanel) के को-फाउंडर सुहैल दोशी ने X पर एक पोस्ट डाली।

उन्होंने लिखा ‘सोहम पारेख YC कंपनियों को निशाना बना रहा है। सावधान रहें।’ सुहैल का दावा था कि उन्होंने सोहम को जॉइनिंग के पहले ही हफ्ते में निकाल दिया, क्योंकि वह ईमानदार नहीं थे। ये पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई और अब तक 10 मिलियन से ज्यादा लोग इसे देख चुके हैं।

और भी स्टार्टअप्स ने लगाए आरोप

सुहैल की पोस्ट के बाद, बाकी स्टार्टअप फाउंडर्स ने भी सामने आकर बताया कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। Lindy नाम की कंपनी के फाउंडर फ्लो क्रिवेलो ने बताया कि सोहम ने इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने पिछली नौकरी ‘टाइम जोन’ के चलते छोड़ी, लेकिन असल में वह कई कंपनियों में एक साथ काम कर रहे थे।

Antimetal के CEO मैथ्यू पार्कहर्स्ट ने कहा कि सोहम उनकी कंपनी के पहले इंजीनियरिंग हायर थे और काफी होशियार भी, लेकिन बाद में उन्हें भी मूनलाइटिंग की जानकारी मिली और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।

इसी तरह Fleet AI, Mosaic, और Warp जैसी कंपनियों ने भी दावा किया कि या तो उन्होंने सोहम को हायर किया था, या ट्रायल पर रखने वाले थे, लेकिन विवाद सामने आने पर योजना बदल दी। Warp की मैनेजर मिशेल लिम ने कहा कि जैसे ही आरोप सामने आए, उन्होंने ट्रायल कैंसिल कर दिया।

शानदार रिज्यूमे, लेकिन बुरे व्यवहार के आरोप

अगर सिर्फ रिज्यूमे देखा जाए तो सोहम पारेख किसी भी स्टार्टअप के लिए सपना होते। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में 9.83 CGPA के साथ ग्रेजुएशन किया और फिर जॉर्जिया टेक से मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने Dynamo AI, Union AI, Synthesia और Alan AI जैसी कंपनियों में काम किया, लेकिन अब Hacker News जैसी साइट्स पर कई अनजान लोगों ने उनके बारे में अलग ही कहानी बताई। किसी ने लिखा कि वे अक्सर मीटिंग छोड़ देते थे, तो कोई कहता है कि वे हर दिन कोई ना कोई बहाना बनाकर गायब रहते थे। कभी वकील से मिलना होता था, तो कभी पर्सनल वर्क।

अब तक चुप हैं सोहम

सोहम पारेख ने अब तक इस पूरे मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सुहैल दोशी ने बताया कि सोहम ने उन्हें निजी तौर पर संपर्क किया और खेद जताया, लेकिन उन्होंने बात का ज्यादा खुलासा नहीं किया।

क्यों बना ये मामला इतना बड़ा?

अब इस विवाद ने टेक इंडस्ट्री में एक बड़े सवाल को जन्म दे दिया है।क्या रिमोट वर्क और वर्चुअल हायरिंग में कंपनियों को धोखा देना आसान हो गया है? स्टार्टअप फाउंडर्स का कहना है कि मूनलाइटिंग से न केवल प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है, बल्कि कंपनी के भरोसे और टीम वर्क को भी नुकसान पहुंचता है।

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सोहम पारेख इस समय कोडिंग या इनोवेशन के लिए नहीं, बल्कि धोखेबाजी और मूनलाइटिंग के लिए चर्चा में हैं। इस एक केस ने दिखा दिया कि आज के डिजिटल दौर में भी ईमानदारी और ट्रस्ट सबसे बड़ी पूंजी है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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