AI तकनीक हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसके साथ हमारी ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है। हमें समझदारी से इन तकनीकों का उपयोग करना होगा ताकि हमारी प्राइवेसी सेफ रहे।
AI Stealing Data: डिजिटल दौर में हम सभी AI का इस्तेमाल कर रहे हैं। कभी ChatGPT से सवाल पूछते हैं, तो कभी स्मार्टवॉच के जरिए अपनी फिटनेस पर नजर रखते हैं। ये तकनीकें हमारी जिंदगी को आसान जरूर बनाती हैं, लेकिन इसके साथ-साथ हमारी प्राइवेसी को लेकर कुछ सवाल भी खड़े करती हैं।
AI कैसे इकट्ठा करता है आपकी जानकारी
AI टूल्स जैसे ChatGPT, Google Gemini या Microsoft Copilot उन सभी चीजों को रिकॉर्ड करते हैं, जो आप उनसे पूछते हैं या बताते हैं। मान लीजिए, अगर आप किसी सवाल का जवाब जानना चाहते हैं और AI टूल से पूछते हैं, तो वह आपके सवाल को रिकॉर्ड कर लेता है। इन जानकारियों को कंपनियां अपने AI सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, कुछ कंपनियां दावा करती हैं कि वह आपकी जानकारी को गुमनाम ही रखती है, लेकिन यह गारंटी नहीं है कि वह डेटा दोबारा पहचान में न आ जाए।
सोशल मीडिया और स्मार्ट डिवाइसेज से भी खतरा
केवल AI चैटबॉट ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे Facebook, Instagram और TikTok भी आपके कामों को रिकॉर्ड करते हैं। आप क्या पोस्ट करते हैं, किसे लाइक करते हैं, कितनी देर कौन-सी वीडियो देखते हैं, ये सब जानकारी AI सिस्टम इकट्ठा करता है और आपकी एक डिजिटल प्रोफाइल बना लेता है। इसी तरह स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर, स्मार्ट स्पीकर आपकी बॉयोमैट्रिक डाटा, आवाज और लोकेशन से जुड़ी जानकारियां लगातार रिकॉर्ड करते हैं।
डेटा की सुरक्षा में कहां है खतरा?
अधिकांश AI सिस्टम का डेटा क्लाउड पर स्टोर होता है। इसका मतलब है कि अगर उस सर्वर पर साइबर हमला हो गया या हैकर्स ने सेंध लगा दी, तो आपकी प्राइवेट जानकारी भी खतरे में पड़ सकती है। इसके अलावा, कंपनियां अपनी प्राइवेसी पॉलिसी इतनी कठिन लैंग्वेज में लिखती हैं कि आम लोग उन्हें पढ़कर समझ नहीं पाते। एक रिपोर्ट के अनुसार, लोग करीब 1-2 मिनट में Terms & Conditions को ‘Agree’ कर देते हैं, जबकि उन्हें सही से समझने में आधे घंटे से ज्यादा लग सकते हैं।
कैसे करें अपनी जानकारी की रक्षा
- साइबरसिक्योरिटी एक्सपर्ट क्रिस्टोफर रमजान कुछ आसान सुझाव देते हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी प्राइवेसी को सुरक्षित रख सकते हैं
- AI टूल्स में कभी भी व्यक्तिगत जानकारी न डालें। जैसे नाम, पता, आधार नंबर, बैंक डिटेल या पासवर्ड जैसी चीजें बिल्कुल भी न बताएं।
- ऑफिस की गोपनीय बातें AI से साझा न करें। जैसे क्लाइंट डेटा, बिज़नेस आइडिया या व्यापारिक रणनीति।
- जो बातें आप दुनिया से छुपाकर रखना चाहते हैं, वो AI को भी न बताएं।
- स्मार्ट डिवाइस को काम न होने पर बंद कर दें। केवल Sleep Mode काफी नहीं होता, क्योंकि कुछ डिवाइस बैकग्राउंड में भी रिकॉर्ड करते रहते हैं।
- प्राइवेसी पॉलिसी को पढ़ें और समझें। किसी ऐप या डिवाइस की सेटिंग्स में जाकर जांचें कि आपने किन चीजों की अनुमति दी है।