Trump Trade Policy: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को साफ कर दिया कि उनकी सरकार उन कंपनियों पर कड़े टैरिफ लगाएगी जो सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन अमेरिका में करने के बजाय आयात पर डिपेंड हैं। यह घोषणा उन्होंने टेक्नोलॉजी सेक्टर के बड़े नेताओं के साथ होने वाले एक हाई प्रोफाइल डिनर से ठीक पहले की। इस कदम को अमेरिका की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा निर्णय माना जा रहा है।
सेमीकंडक्टर चिप्स पर टैरिफ लगाकर ट्रंप घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहते हैं। इस कदम से Apple , TSMC और Samsung जैसी बड़ी कंपनियां पहले ही अमेरिका में निवेश की घोषणा कर चुकी हैं
व्यापार नीति में टैरिफ का हथियार
जनवरी में दोबारा पदभार संभालने के बाद से ट्रंप लगातार टैरिफ को विदेश और व्यापार नीति का अहम हिस्सा बना रहे हैं, लेकिन इस नीति से वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है और कई देशों के साथ अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। ट्रंप ने कहा कि जो कंपनियां अमेरिका में नहीं आ रहीं उन पर हम टैरिफ लगाएंगे और यह जल्द ही लागू होगा। हालांकि, उन्होंने दर और समय का सटीक खुलासा नहीं किया है।
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Apple और बड़ी कंपनियों को राहत
डिनर के दौरान ट्रंप ने खास तौर पर Apple के सीईओ टिम कुक का नाम लिया और कहा कि उनकी स्थिति अच्छी रहेगी। दरअसल, Apple ने अमेरिका में अगले चार साल में 600 अरब डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है जिससे कंपनी ट्रंप की नीति के अनुरूप दिखाई दे रही है।
पिछले महीने भी ट्रंप ने संकेत दिए थे कि सरकार सेमीकंडक्टर आयात पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगा सकती है, लेकिन इसका असर उन कंपनियों पर नहीं होगा जो पहले से अमेरिका में उत्पादन कर रही हैं या यहां निवेश की योजना बना चुकी हैं। यही कारण है कि ताइवान की TSMC और दक्षिण कोरिया की Samsung इलेक्ट्रॉनिक्स और एसके हाइनिक्स ने अमेरिका में बड़े निवेश का ऐलान किया है।
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क्या है कानूनी अड़चनें
ट्रंप की टैरिफ नीति को अदालतों में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में निचली अदालत ने 1977 के आपातकालीन कानून के तहत लगाए गए कुछ टैरिफ को खारिज कर दिया। अब ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रहा है ताकि इन अधिकारों को बनाए रखा जा सके।