Google ने तोड़ा भरोसा… चोरी-छिपे जूटा रहा था फोन का डेटा, कोर्ट ने ठोका जुर्माना

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Google ने तोड़ा भरोसा... चोरी-छिपे जूटा रहा था फोन का डेटा, कोर्ट ने ठोका जुर्माना
July 2, 2025

बिना इजाजत डेटा इकट्ठा करने पर Google पर 2,745 करोड़ का जुर्माना, अदालत ने माना यूजर्स की प्राइवेसी का हुआ उल्लंघन, अमेरिका में बढ़ सकती हैं कानूनी मुश्किलें।

Google: टेक दिग्गज Google को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कैलिफोर्निया की एक जूरी ने कंपनी पर 314.6 मिलियन डॉलर (लगभग 2,745 करोड़) का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना इसलिए लगाया गया है, क्योंकि Google पर आरोप है कि उसने यूजर्स की अनुमति के बिना Android फोन से डेटा इकट्ठा किया, वह भी तब जब फोन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था।

क्या है मामला?

यह केस साल 2019 में दर्ज किया गया था, जिसमें करीब 1.4 करोड़ Android यूजर्स की ओर से दावा किया गया है कि Google ने उनके फोनों से चोरी-छुपे डेटा इकट्ठा किया। ये डेटा कथित तौर पर तब भी लिया जा रहा था जब फोन चालू था, लेकिन उपयोग में नहीं था। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में यूजर्स का मोबाइल डेटा भी खर्च हुआ, जिसकी उन्हें जानकारी तक नहीं थी।

इस केस में आरोप लगाया गया कि Google यह डेटा विज्ञापनों और अपने इंटरनल सर्विसेज को बेहतर बनाने के लिए चुपचाप इकट्ठा कर रहा था। जूरी ने माना कि यह डेटा कलेक्शन यूजर्स के अधिकारों का उल्लंघन है और इससे उनकी प्राइवेसी पर गंभीर असर पड़ा है।

वकील का बयान

यूजर्स की ओर से केस लड़ने वाले वकील ग्लेन समर्स ने इस फैसले को यूजर्स की जीत बताया और कहा कि यह मामला दिखाता है कि Google जैसी बड़ी कंपनी ने किस हद तक लोगों के भरोसे का गलत इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला Google के व्यवहार की गंभीरता को उजागर करता है।

Google का जवाब

हालांकि, Google ने इस फैसले से असहमति जताई है और फैसले को चुनौती देने की बात कही है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला Android की सुरक्षा, प्रदर्शन और विश्वसनीयता से जुड़े जरूरी फीचर्स को गलत तरीके से समझता है। Google का दावा है कि यूजर्स ने प्राइवेसी पॉलिसी के तहत इस डेटा कलेक्शन की सहमति दी थी और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

अभी बाकी है बड़ी लड़ाई

फिलहाल, यह फैसला सिर्फ कैलिफोर्निया के यूजर्स के लिए है, लेकिन इस मामले की गूंज जल्द ही पूरे अमेरिका में सुनाई दे सकती है। बाकी 49 राज्यों के यूजर्स की ओर से भी इसी तरह का केस किया गया है, जिसकी सुनवाई अप्रैल 2026 में शुरू हो सकती है। अगर वहां भी Google को हार मिलती है, तो कंपनी को इससे भी ज्यादा जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता

इस मामले ने एक बार फिर डिजिटल प्राइवेसी और यूजर की सहमति (Consent) को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आज की डिजिटल दुनिया में जहां हर चीज ऑनलाइन होती जा रही है, वहां यूजर्स को बिना जानकारी के उनके डेटा का इस्तेमाल करना कानूनी और नैतिक दोनों ही रूप से गलत माना जा रहा है।

यह मामला सिर्फ एक जुर्माने का नहीं, बल्कि टेक कंपनियों की जवाबदेही और यूजर्स के अधिकारों की सुरक्षा का है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या कोर्ट्स और कानून टेक कंपनियों पर सख्ती बरतते हैं या फिर यूजर्स को खुद अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी, लेकिन एक बात तय है डिजिटल दुनिया में भरोसे की बुनियाद अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गई है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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