सैटेलाइट फोन सामान्य स्मार्टफोन से किस तरह अलग होते है। आखिर सैटेलाइट फोन कैसे काम करता है? इसके बारे में यहां जानें सबकुछ।
Satellite And Smartphone difference: सैटेलाइट फोन के बारे में आपने कई बार सुना होगा। इस फोन को हमेशा आतंकियों और नक्सलियों से जोड़कर देखा जाता है। वहीं, अंडमान में की गई छापेमारी में नक्सलियों के पास भी यही सैटेलाइट फोन बरामद किया गया था। यह सैटेलाइट फोन Starlink का था, जिसके बाद कंपनी पर कई सवाल उठे थे, लेकिन आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि आखिर यह सैटेलाइट फोन क्या होता है? क्या यह स्मार्टफोन जैसा नहीं है? यह कितना अलग है? इसे लेकर इतनी सावधानी क्यों बरती जा रही है? आपके इन सभी सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे।
सैटेलाइट फोन और स्मार्टफोन में क्या है अंतर
स्मार्टफोन से कॉल करने, मैसेज भेजने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए आपको 4G, 5G या वाई-फाई जैसे नेटवर्क का यूज करना होगा। बता दें कि स्मार्टफोन टेलीफोन टावर और इंटरनेट नेटवर्क के जरिए काम करता है। अगर आपके स्मार्टफोन पर नेटवर्क कवरेज नहीं है, तो आपका फोन काम नहीं करेगा, लेकिन सैटेलाइट फोन सीधे धरती के ऊपर मौजूद सैटेलाइट से जुड़ते हैं। इसका मतलब है कि इसे यूज करने के लिए नेटवर्क टावर की जरूरत नहीं होती। सैटेलाइट फोन का यूज ऐसी जगहों पर भी किया जा सकता है, जहां टेलीकॉम नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, जैसे कि घने जंगल, रेगिस्तान, समुद्र या पहाड़ी इलाके।
कैसे काम करता है सैटेलाइट फोन
सैटेलाइट फोन में एक एंटीना होता है जो सीधे सैटेलाइट से बातचीत करता है। ऐसे में जब कोई किसी को कॉल करता है या कोई मैसेज भेजता है, तो सिग्नल सीधे सैटेलाइट तक पहुंचता है। इसके बाद सिग्नल को दूसरे सैटेलाइट या ग्राउंड स्टेशन के जरिए रिसीवर तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में नॉर्मल मोबाइल नेटवर्क से ज्यादा समय लगता है।