AI के बढ़ते प्रयोग से भले ही लोगों में जॉब को लेकर डर है, लेकिन Google जैसे बड़े टेक लीडर्स यह साफ कर रहे हैं कि इंसानी टैलेंट की अब भी बड़ी जरूरत है।
Sundar Pichai On AI: आज के समय में AI तकनीक ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है। कई काम जो पहले घंटों में होते थे, अब कुछ ही मिनटों में पूरे हो जाते हैं, लेकिन जहां AI ने काम को आसान बनाया है। वहीं, इसने लोगों की नौकरियों पर भी खतरे की घंटी बजा दी है।इसको लेकर हाल ही में Google के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक बयान दिया है, जिससे सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को राहत मिल सकती है।
AI का बढ़ता प्रभाव
पिछले कुछ सालों में ChatGPT, Google Gemini और अन्य AI टूल्स ने दिखाया है कि कैसे ये टेक्नोलॉजी इंसानों की तरह सोच सकती हैं और कोडिंग जैसे कठिन काम भी कर सकती हैं। OpenAI और Google DeepMind जैसी कंपनियों ने ऐसे टूल्स डेवलप किए हैं, जो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट को पूरी तरह से बदल सकते हैं।
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगले 5 सालों में 50% तक कोडिंग जॉब्स खत्म हो सकती हैं। ऐसे में इंजीनियर्स के मन में डर बना हुआ है कि कहीं उनकी नौकरी AI के हाथों न चली जाए।
सुंदर पिचाई की राय
सुंदर पिचाई ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि AI इंसानों का रिप्लेसमेंट नहीं है, बल्कि एक सपोर्ट टूल है। उन्होंने बताया कि Google के सॉफ्टवेयर कोड का करीब 30% हिस्सा AI की मदद से लिखा जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इंसानों की जरूरत खत्म हो गई है।
उन्होंने साफ कहा कि Google आने वाले समय में और ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को हायर करने जा रहा है। इसका मतलब है कि कोडिंग की जॉब्स खत्म नहीं होंगी, बल्कि AI की मदद से इंजीनियर्स और ज्यादा स्मार्ट तरीके से काम कर पाएंगे।
AI क्यों नहीं ले सकता इंसानों की जगह?
सुंदर पिचाई ने यह भी कहा कि इंसान समस्या को हल करने की जो क्रिएटिव सोच और अनुभव रखते हैं, वह AI कभी नहीं कर सकता। इंसानों में भावनाएं होती हैं, सीखने और समझने की क्षमता होती है, जो AI में संभव नहीं है।
AI केवल एक टूल है, जो कोडिंग को तेज और आसान बनाता है, लेकिन कठिन समस्याओं को हल करने और नए समाधान निकालने के लिए अभी भी इंसानी दिमाग की जरूरत होती है।