AI में अमेरिका और चीन जैसे देशों ने बड़ी छलांग लगाई है। चीन के DeepSeek और अमेरिका के ChatGPT जैसे मॉडल को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है।
Artificial Intelligence: भारत अब AI की रेस में पीछे नहीं रहना चाहता है। अमेरिका का ChatGPT और चीन का DeepSeek जैसी टेक्नोलॉजी ने दुनियाभर में खास पहचान बनाई है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने भी अपनी कमर कस ली है और देश में अपनी खुद की AI टेक्नोलॉजी डेवलप करने का फैसला किया है।
इतने करोड़ खर्च किए गए हैं
भारत सरकार ने यह कदम ‘IndiaAI Mission’ के तहत उठाया है, जिसे मार्च 2024 में मंजूरी मिली थी। इस मिशन के लिए सरकार ने 10,372 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। 2024-25 में इसके तहत 551.75 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना का मकसद खासकर भारतीय लैंग्वेज में AI सॉल्यूशन तैयार करना है, ताकि भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोग भी अपनी भाषा में AI का इस्तेमाल कर सकें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने भाषण में भी इस मिशन का ज़िक्र किया है। यानी की साफ है कि भारत अब टेक्नोलॉजी के इस नए युग में अपनी अलग पहचान बनाना चाहता है और दुनिया के बड़े देशों को टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत सरकार के लिए खुद का AI बनाना काफी फायदेमंद
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को शुरुआत से ही अपनी खुद की AI टेक्नोलॉजी यानी Foundation Model तैयार करनी चाहिए। वहीं, कुछ लोग कहते हैं कि पहले से बने विदेशी मॉडल्स को यूज करना ज्यादा आसान और सस्ता होगा, लेकिन अगर लंबे समय की सोचें, तो भारत के लिए अपना AI बनाना ही सही रास्ता माना जा रहा है।
भारी मात्रा में डेटा और पावरफुल GPU की जरूरत
AI के लिए जिस टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है, उसमें सबसे अहम होता है Large Language Model। इसे बनाने के लिए भारी मात्रा में डेटा और पावरफुल GPU की जरूरत होती है। भारत सरकार ने इस दिशा में बड़ी तैयारी कर ली है। सरकार ने 10 बड़ी कंपनियों को चुना है, जो कुल 18,693 GPU यूनिट्स मुहैया कराएंगी। इनमें Yotta, Jio Platforms और Tata Communications जैसे नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि अकेले Yotta ने ही 9,216 GPUs देने का वादा किया है। यानि अब भारत भी अपने AI भविष्य की नींव मजबूत कर रहा है, वो भी पूरी ताकत के साथ।
Infosys के पूर्व CEO ने AI के बारे में बताया था
OpenAI में संभावनाएं सबसे पहले Infosys के पूर्व CEO विशाल सिक्का ने देखी थीं। 2015 में उन्होंने OpenAI में इन्वेस्टमेंट करने की बात कही थी और AI को फ्यूचर में गेम चेंजर बताया था। 2017 में इस्तीफा देते समय भी उन्होंने AI की ताकत के बारे में बात की थी। सरकार अगले 4 से 8 महीने में अपना पहला AI फाउंडेशन मॉडल पेश करने की प्लानिंग पर काम कर रही है। इसके लिए 6 डेवलपर्स से बातचीत भी चल रही है। हालांकि, अभी तक इन कंपनियों के नाम और लागत का खुलासा नहीं हुआ है।