चीन की सबसे खास बात यह है कि वहां की कंपनियां ऐसे स्मार्ट AI सिस्टम बना रही हैं जो इंसानी दिमाग की तरह सोचते और सीखते हैं।
Human Brain-Computer Fusion: चीन इन दिनों AI वर्ल्ड का सबसे बड़ा लीडर बनने की दिशा में काम कर रहा है। जहां अमेरिका और यूरोपीय देश बड़े AI मॉडल्स और पावरफुल चिप्स पर फोकस कर रहे हैं तो वहीं, चीन ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस का रास्ता अपना रहा है।
क्या है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस?
BCI एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो सीधे इंसानी दिमाग को मशीन से जोड़ने का काम करती है। इसमें कुछ डिवाइसेज इंसान के दिमाग के अंदर लगाए जाते हैं जबकि कुछ बाहर से काम करते हैं। इसका मकसद इंसान और कंप्यूटर को एक साथ एक यूनिट के तौर पर काम करने लायक बनाना है।
कम डेटा और कम खर्च होगा
चीन की सबसे खास बात यह है कि वहां की कंपनियां ऐसे स्मार्ट AI सिस्टम बना रही हैं जो इंसानी दिमाग की तरह सोचते और सीखते हैं। इन सिस्टम्स को ज्यादा डेटा या महंगे कंप्यूटर चिप्स की जरूरत नहीं होती है। इससे चीन को वेस्टर्न देशों की तुलना में कम संसाधनों में भी आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।
ईमेल सोचकर भेजना
तियानजिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डोंग मिंग ने इस टेक्नोलॉजी को लेकर कहा है कि वो AI को इंसान की जगह नहीं बनाना चाहते, बल्कि इंसान और AI को एक साथ जोड़कर काम करना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो कोई व्यक्ति सिर्फ सोचकर ईमेल भेज सकता है या सैनिकों को सुपर-सोल्जर की तरह तैयार किया जा सकता है।
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2018 में भी दिखा था चीन का इरादा
2018 में चीन ने अमेरिका की Z Advanced Computing कंपनी का हिस्सा खरीदने के लिए 30 मिलियन डॉलर की पेशकश की थी। ये कंपनी ऐसे AI सिस्टम पर काम कर रही है जो बहुत कम डेटा में भी सीखने में सक्षम हैं। हालांकि, इस टेक्लॉजी को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं। आने वाला वक्त यह तय करेगा कि इंसान और टेक्नोलॉजी का रिश्ता कैसा होगा।