यह प्रतियोगिता सिर्फ एक रेस नहीं थी, बल्कि यह दिखाने वाला पल था कि AI तकनीक अब इंसानी क्षमताओं को टक्कर देने के स्तर पर पहुंच चुकी है।
AI Drone Race: टेक्नोलॉजी और रेसिंग की दुनिया में एक नया और ऐतिहासिक पल देखने को मिला है। अबू धाबी में आयोजित एक अनोखी ड्रोन रेसिंग प्रतियोगिता में AI से संचालित ड्रोन ने दुनिया के इंसानी ड्रोन पायलटों को हरा दिया। यह मुकाबला A2RLxDCL ऑटोनोमस ड्रोन चैंपियनशिप का हिस्सा था, जिसका मकसद बिना किसी इंसानी कंट्रोल के उड़ने वाले ड्रोन की क्षमता को परखना था।
रेस में शामिल थे दुनिया के 14 देश
यह खास इवेंट अबू धाबी के ADNEC Marina Hall में हुआ, जिसमें दुनियाभर से 14 टीमों ने भाग लिया। इनमें दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, कनाडा, तुर्की, चीन और UAE जैसे देश भी शामिल थे। रेस की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी ड्रोन को चलाने के लिए कोई रिमोट या इंसानी पायलट इस्तेमाल नहीं किया गया। सभी ड्रोन पूरी तरह से AI द्वारा खुद ही उड़ान भर रहे थे।
रफ्तार, चतुराई और तकनीक का जोर
ड्रोन 150 किमी/घंटा की रफ्तार से एक कठिन इनडोर ट्रैक पर दौड़ रहे थे। ट्रैक में कई मुश्किलें थीं। जैसे चौड़े गेट्स, असमान लाइटिंग और बेहद कम विजुअल संकेत। यानी ड्रोन को अपने दम पर यह तय करना था कि कहां मोड़ना है, कितनी रफ्तार रखनी है और कहां ब्रेक लगाना है।
नीदरलैंड की टीम के नाम
MavLab नाम की टीम जो TU Delft यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड से है, उन्होंने इस मुकाबले में बाजी मार ली। उनके AI ड्रोन ने 170 मीटर लंबे ट्रैक के दो लैप सिर्फ 17 सेकेंड में पूरे किए। इस दमदार प्रदर्शन से न केवल उन्होंने AI ग्रैंड चैलेंज जीता, बल्कि एक प्रोफेशनल इंसानी ड्रोन पायलट को भी सीधे मुकाबले में हरा दिया।
सभी के पास था एक जैसा हार्डवेयर
रेस को पूरी तरह निष्पक्ष बनाने के लिए सभी टीमों को एक जैसा हार्डवेयर दिया गया था। इसमें एक फ्रंट-फेसिंग कैमरा, एक मोशन सेंसर और NVIDIA का Jetson Orin NX कंप्यूटिंग यूनिट। इन्हीं उपकरणों के जरिए ड्रोन को रीयल-टाइम में निर्णय लेने थे।
चुनौतीपूर्ण था मुकाबला
आयोजकों का कहना है कि यह अब तक की सबसे कठिन रेसों में से एक थी। लाइटिंग की कमी, तेज गति और टेक्निकल लिमिटेशन के बावजूद AI ड्रोन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इससे यह भी साबित होता है कि AI तकनीक अब किस हद तक आगे बढ़ चुकी है।
बच्चों के लिए भी थी खास पहल
इस इवेंट में एक STEM कार्यक्रम भी चलाया गया, जिसके तहत 100 से ज्यादा अमीराती छात्रों को ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी गई। इसका मकसद था नई पीढ़ी को टेक्नोलॉजी की दुनिया से जोड़ना और उन्हें प्रेरित करना।