भारत में कितनी होगी Starlink इंटरनेट की स्पीड और कीमत

4 mins read
742 views
elon musk
March 13, 2025

Starlink जल्द ही भारत में डेब्यू कर सकती है, कंपनी को अभी सरकार से कुछ मंजूरी मिलनी बाकी है, लेकिन डेब्यू से पहले ही Starlink ने Airtel और Jio से हाथ मिला लिया है।

Starlink Internet Cost: Elon Musk काफी समय से भारत में Starlink को लॉन्च करना चाह रहे हैं, यही वजह है कि अब उन्होंने भारत में इसके एंट्री के लिए नए रास्ते तलाशने लगे हैं। Starlink ने हाल ही में Airtel और Reliance Jio से हाथ मिलाया है। जब से Starlink ने इन दोनों कंपनियों के साथ डील की है, तब से हर कोई जानना चाहता है कि भारत में Starlink की स्पीड क्या होगी और Starlink प्लान्स के लिए कितने पैसे खर्च करने होंगे?

Airtel और Jio के साथ Starlink की डील

सरकार से अप्रूवल मिलने के बाद Starlink भारत में अपनी सेवाएं देना शुरू कर देगी। Starlink ने Airtel और Jio के साथ जो डील की है, उसके मुताबिक दोनों कंपनियां अपने रिटेल स्टोर में Starlink के डिवाइस बेचेंगी।

क्या होगी Starlink इंटरनेट की स्पीड

Starlink के पास स्टैंडर्ड, प्रायोरिटी, मोबाइल और मोबाइल प्रायोरिटी सर्विस प्लान हैं। स्टैंडर्ड प्लान 25 से 100Mbps डाउनलोड और 5 से 10Mbps अपलोड स्पीड देगा। प्रायोरिटी प्लान 40 से 220Mbps डाउनलोड और 8 से 25Mbps अपलोड स्पीड देगा। मोबाइल सेवा योजना 5 से 50 Mbps डाउनलोड और 2 से 10 Mbps अपलोड गति का लाभ प्रदान करती है, जबकि मोबाइल प्राथमिकता योजना 40 से 220 Mbps डाउनलोड और 8 से 25 Mbps अपलोड गति प्रदान करती है।

क्या होगी Starlink की इंटरनेट कोस्ट

अमेरिका में Starlink के मंथली प्लान की कीमत भारतीय रुपयों के मुताबिक, करीब 10,441 रुपये से शुरू होती है। वहीं, इक्विपमेंट की कीमत करीब 52120 रुपये है। भारत में Starlink प्लान की कीमत के बारे में अभी कुछ भी कहना काफी जल्दबाजी होगी। कीमतों के बारे में सही जानकारी Starlink के भारत में डेब्यू करने के बाद ही पता चलेगी।

वहीं, दूसरी ओर Reliance Jio फाइबर प्लान की कीमत 399 रुपये से लेकर 8499 रुपये और Jio एयरफाइबर प्लान की कीमत 599 रुपये से लेकर 3999 रुपये तक है। Jio फाइबर और एयर फाइबर प्लान 30Mbps से लेकर 1Gbps तक की स्पीड के साथ मौजूद हैं।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

MacBook Air M4
Previous Story

iPad Air M3 और MacBook Air M4 समेत इन प्रोडक्ट्स की कीमत जानें

Gemini
Next Story

Google ने लॉन्च किया अपना पहला AI मॉडल, जानें खासियत

Latest from Tech News

छोटा अपडेट, बड़ा असर...आ गया iOS 26 में घांसू फीचर...फटाफट देखें

छोटा अपडेट, बड़ा असर…आ गया iOS 26 में घांसू फीचर…फटाफट देखें

Apple iOS26 Reminders: Apple ने iOS 26 के साथ Reminders ऐप को सिर्फ एक टू-डू लिस्ट नहीं रहने दिया, बल्कि इसे ट्रैवल-फ्रेंडली प्लानिंग टूल बना दिया है। iOS 26.2 में शामिल एक नया लेकिन कम चर्चा में
अब-बदलेगा-चैटिंग-का-खे

अब बदलेगा चैटिंग का खेल! Arattai को WhatsApp के मुकाबले उतारने की तैयारी में Zoho

Zoho Arattai New Update: भारत में स्वदेशी मैसेजिंग ऐप Arattai एक बार फिर चर्चा में है। वजह हैं Zoho के फाउंडर और CEO Sridhar Vembu। जिन्होंने संकेत दिया है कि अरट्टई को WhatsApp जैसी दिग्गज ऐप्स के मुकाबले खड़ा करने के लिए बड़े
WLFI विवाद में फंसे जस्टिन सन, फ्रीज टोकन से 60 मिलियन डॉलर का नुकसान

WLFI विवाद में फंसे जस्टिन सन, फ्रीज टोकन से 60 मिलियन डॉलर का नुकसान

Justin Sun WLFI: क्रिप्टो इंडस्ट्री के बड़े नाम और TRON के संस्थापक जस्टिन सन एक विवाद में फंसे हुए हैं। यह विवाद World Liberty Financial नाम के DeFi प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसका संबंध अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार से बताया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन सन के फ्रीज किए गए WLFI टोकनों की वैल्यू करीब 60 मिलियन डॉलर गिर चुकी है। हैरानी की बात यह है कि WLFI के सबसे बड़े निवेशकों में शामिल होने के बावजूद जस्टिन सन पिछले 3 महीने से ज्यादा समय से ब्लैकलिस्टेड हैं और उनके टोकन अब भी लॉक हैं।  WLFI टोकन फ्रीज होने के बाद जस्टिन सन की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जानिए कैसे ट्रंप से जुड़े इस क्रिप्टो प्रोजेक्ट में उनका करोड़ों डॉलर का निवेश फंसा हुआ है।   कैसे हुई विवाद की शुरुआत  यह पूरा मामला सितंबर में WLFI के टोकन जेनरेशन इवेंट के बाद शुरू हुआ है। 2 सितंबर को जस्टिन सन ने बताया था कि उन्होंने 200 मिलियन डॉलर के WLFI टोकन क्लेम किए हैं और उनके पास कुल 600 मिलियन टोकन मौजूद हैं। उस समय ब्लॉकचेन डेटा के अनुसार, उनकी कुल WLFI होल्डिंग्स की कीमत लगभग 900 मिलियन डॉलर थी। उस समय जस्टिन सन ने साफ कहा था कि वह टोकन बेचने वाले नहीं हैं और इस प्रोजेक्ट के लंबे समय तक सपोर्टर बने रहेंगे।’  Justin Sun is still blacklisted by WLFI in 3 months, his locked tokens dropped $60m in
Prompt-Injection

Prompt Injection कैसे बन सकता है यूजर्स के लिए खतरा?

Openai AI Browser Security: AI टेक्नोलॉजी तेजी से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही है। अब ऐसे AI एजेंट्स आ चुके हैं जो इंटरनेट ब्राउज कर सकते हैं, लिंक पर क्लिक कर सकते हैं, स्क्रॉल कर सकते हैं और यूजर की तरफ से काम भी कर सकते हैं। OpenAI का नया सिस्टम ChatGPT Atlas Agent Mode भी ऐसा ही एक ब्राउजर बेस्ड AI है, जो डिजिटल असिस्टेंट की तरह काम करता है, लेकिन इस स्मार्ट तकनीक के पीछे एक गंभीर सुरक्षा चिंता भी छुपी है, जिसे OpenAI ने खुद खुलकर स्वीकार किया है।  AI ब्राउजर एजेंट्स इंटरनेट चलाने में मदद तो करते हैं, लेकिन OpenAI ने खुद इनके सिक्योरिटी जोखिम को लेकर चेतावनी दी है, जानिए Prompt Injection क्या है और यह यूजर्स के लिए क्यों खतरनाक हो सकता है।  सुरक्षित नहीं हैं AI ब्राउजर  OpenAI का कहना है कि चाहे AI कितना भी स्मार्ट क्यों न हो, ऐसे ब्राउजर एजेंट्स को पूरी तरह सुरक्षित बनाना बेहद मुश्किल है। इसकी सबसे बड़ी वजह Prompt Injection Attack है। कंपनी इसे एक लॉन्ग टर्म AI सिक्योरिटी चैलेंज मानती है और यह भी मानती है कि साइबर हमलावर पहले से ही इन AI सिस्टम्स को गुमराह करने के तरीके खोज रहे हैं।  Prompt Injection क्या होता है?  Prompt Injection एक ऐसा तरीका है जिसमें किसी वेबसाइट, ईमेल, PDF, डॉक्युमेंट या कैलेंडर इनवाइट के अंदर छुपे हुए निर्देश डाले जाते हैं। AI इन छुपे मैसेज को असली कमांड समझ लेता है और यूजर के आदेशों को नजरअंदाज करके हमलावर की बात मान लेता है।  इससे कितना बड़ा नुकसान हो सकता है?  OpenAI के मुताबिक, अगर ऐसा हमला सफल हो जाए तो AI एजेंट प्राइवेट ईमेल आगे भेज सकता है, बिना अनुमति पैसे ट्रांसफर कर सकता है, पर्सनल फाइल्स लीक कर सकता है, गलत या अफवाह वाले मैसेज लिख सकता है और ऑफिस के टूल्स का गलत इस्तेमाल कर सकता है जैसे काम कर सकता है।  READ MORE: भारत में ही क्यों Free मिल रहा OpenAI, Google और Perplexity?  इस खतरे से खुद कैसे लड़ रहा है OpenAI?  OpenAI सिर्फ खतरे नहीं बता रहा है। दरअसल, कंपनी ने खुद एक AI रेड टीम अटैकर सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम हैकर की तरह सोचता है और बार–बार AI ब्राउजर पर हमला करने की कोशिश करता है। यह अटैकर AI

Don't Miss