अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में अपनाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल दुनिया के लिए मिसाल हैं। निर्माण के दौरान अपनाए गए सुरक्षा इंतजामों के लिए राम मंदिर को ब्रिटिश काउंसिल से अवॉर्ड मिल चुका है।
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर को सुरक्षा के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल ने मंदिर निर्माण में अपनाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल के मद्देनजर इसे प्रतिष्ठित ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार निर्माण के दौरान उच्च सुरक्षा मानकों को अपनाने के लिए दिए जाने वाला सबसे बड़े सम्मानों में से एक है। मंदिर के निर्माण में लगी कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने सुरक्षा को देखते हुए इसमें जबरदस्त सुरक्षा स्टैंडर्ड्स का पालन किया है।
इसमें मंदिर की नींव को बेहद मजबूत बनाने के लिए कई परतों का यूज किया गया है। इनमें से 50 से ज्यादा परतें फ्लाई ऐश, धूल और केमिकल से बनी हैं। इसके अलावा नींव को मजबूती देने के लिए 21 फीट मोटे ग्रेनाइट प्लेटफॉर्म की मोटी परत भी बिछाई गई है। इससे मंदिर को नमी से बचाने में मदद मिलेगी।
बिना लोहे का यूज किए बनाई गई मंदिर
लोहे के इस्तेमाल से बचने और सीमेंट के इस्तेमाल को कम करने के लिए एक इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन अप्रोच अपनाया गया। पत्थरों को आपस में जोड़कर एक मजबूत संरचना बनाई गई है। तांबे के क्लैंप और पिन असेंबली को और मजबूत बनाते हैं, जिससे लोहे या बहुत अधिक सीमेंट पर निर्भर हुए बिना एक टिकाऊ और परस्पर जुड़ी संरचना बनती है। इस तरह राम मंदिर की वास्तुकला न केवल मजबूत और टिकाऊ है, बल्कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भी बचने में सक्षम है। दावा किया जा रहा है कि यह मंदिर 1000 साल से भी ज़्यादा समय तक टिका रहेगा।
हाई टेक्नोलॉजी का किया गया इस्तेमाल
मंदिर के निर्माण में इंजीनियरों ने अल्ट्रासोनिक और इंफ्रारेड थर्मोग्राफी जैसी कई मॉडर्न टेक्नोलॉजी का यूज किया है। इन टेक्नोलॉजी की हेल्प से मंदिर के अलग-अलग हिस्सों की जांच की गई है और यह सुनिश्चित किया गया है कि मंदिर के निर्माण में कोई खामी न रहे।
क्या है BIM टेक्नोलॉजी
राम मंदिर दुनिया का ऐसा पहला मंदिर है, जिसके निर्माण से पहले 3D संरचनात्मक विश्लेषण किया गया था। BIM तकनीक ने परंपरा और नवाचार को एक साथ लाने में हेल्प की है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए आर्किटेक्ट, इंजीनियर और बिल्डर एक साथ मिलकर काम करते हैं। इससे निर्माण के दौरान बेहतर कम्युनिकेशन बना और देरी से बचने में मदद मिली। BIM टेक्नोलॉजी से संभावित खतरों की पहचान की गई, जिससे निर्माण स्थल पर उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल का सुरक्षा कवच तैयार हुआ।
राम मंदिर को मिला यह पुरस्कार भारत के लिए गर्व की बात है। इससे यह पता चलता है कि भारत में भी वर्ल्ड लेवल की इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी से निर्माण किया जा सकता है। ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ पुरस्कार इस बात का सबूत है कि सुरक्षा के मामले में हम दुनिया के दूसरे देशों से किसी भी तरह कम नहीं हैं।