Apple Antitrust Case: Apple ने भारत के बदले हुए एंटीट्रस्ट कानून के खिलाफ दिल्ली HC का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी ने कहा है कि नए नियम उसके लिए बेहद भारी पड़ सकते हैं और उस पर लगभग 38 बिलियन डॉलर तक का जुर्माना लग सकता है। यह मामला भारत के नए पेनल्टी सिस्टम के खिलाफ पहली कानूनी चुनौती है।
Apple ने भारत के नए एंटीट्रस्ट पेनल्टी नियमों को दिल्ली HC में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि ग्लोबल टर्नओवर पर जुर्माना लगाना अनुचित है।
क्या है नया पेनल्टी नियम?
भारत ने 2024 में Competition Act में संशोधन किया है। अब Competition Commission of India (CCI) किसी कंपनी पर जुर्माना उसकी ग्लोबल टर्नओवर के आधार पर लगा सकती है। पहले पेनल्टी सिर्फ इंडिया में कमाए गए रेवेन्यू पर तय की जाती थी। इस बदलाव का सबसे बड़ा असर Apple जैसी ग्लोबल कंपनियों पर पड़ा है, जिनकी दुनिया भर में बड़ी कमाई होती है।
क्यों चिंता में Apple?
Apple पर CCI की जांच 2022 से चल रही है। इस जांच की शुरुआत Tinder की पैरेंट कंपनी Match Group और कई भारतीय स्टार्टअप्स की शिकायतों से हुई थी। शिकायतों में कहा गया था कि Apple अपने iOS ऐप स्टोर में दुरुपयोगपूर्ण व्यवहार कर रहा है। पिछले साल CCI की जांच रिपोर्ट में भी कहा गया था कि Apple का व्यवहार प्रतिस्पर्धा के नियमों के खिलाफ है। हालांकि, अभी तक CCI ने अंतिम आदेश जारी नहीं किया है और न ही पेनल्टी तय की है।
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Apple की दलील
545 पन्नों की याचिका में Apple ने कुछ मुख्य तर्क दिए है।
- ग्लोबल टर्नओवर पर पेनल्टी लगाना अनुचित और असंवैधानिक है।
- यह नियम अनुपातहीन और अत्यधिक कठोर है।
- पेनल्टी सिर्फ उस बिजनेस यूनिट पर लगनी चाहिए, जहां कथित उल्लंघन हुआ है।
Apple ने उदाहरण दिया कि यह ऐसा होगा जैसे किसी कंपनी की स्टेशनरी डिविजन की गलती पर उसकी टॉय डिविजन पर जुर्माना लगा दिया जाए।
रिट्रोस्पेक्टिव नियम पर भी आपत्ति
10 नवंबर को CCI ने पहली बार नए नियमों को पुराने मामलों पर लागू किया। इससे Apple को डर है कि उस पर भी पिछली जांचों के आधार पर भारी पेनल्टी लग सकती है। इसलिए उसने अदालत में इस संशोधन को चुनौती दी है।
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भारत में Apple की स्थिति
Apple का कहना है कि भारत में उसकी बाजार हिस्सेदारी अब भी Google के Android की तुलना में कम है, लेकिन Counterpoint Research के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में Apple का यूजर बेस चार गुना बढ़ा है।
