NTT DATA AI Productivity: AI दुनिया भर में काम करने का तरीका बदल रहा है और इसकी रफ्तार उम्मीद से कहीं ज्यादा तेज है। NTT DATA APAC के वरिष्ठ कार्यकारी और प्रधान सेवा, आश्वासन और डाटा और AI जान वुपरमैन ने बताया है कि AI के कारण कंपनी में 2025 में 50% प्रोडक्टिविटी ग्रोथ दर्ज की जा रही है। अगले दो सालों में यह बढ़कर 70% तक पहुंचने की उम्मीद है।
उनके अनुसार, ये सिर्फ लागत बचत नहीं, बल्कि वास्तविक उत्पादकता में बढ़ोतरी है जो AI के गहराई से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और इंजीनियरिंग वर्कफ्लो में शामिल होने से हो रही है।
NTT DATA ने खुलासा किया है कि AI के इस्तेमाल से इंजीनियरों की जरूरत कम नहीं, बल्कि और बढ़ गई है। कंपनी के मुताबिक, AI डेवलपमेंट से लेकर प्रोजेक्ट्स तक हर कदम पर आउटपुट को तेज कर रहा है।
AI जनरेटेड कोड बना सबसे बड़ा गेम चेंजर
वुपरमैन ने जानकारी दी है कि सबसे ज्यादा फायदा AI जनरेटेड कोड और ऑटोमेशन से मिला है। AI अब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल के लगभग सभी हिस्सों में शामिल है। कोडिंग, टेस्टिंग, डॉक्यूमेंटेशन, इंजीनियरिंग आउटपुट और प्रोजेक्ट डिलीवरी शामिल है। NTT DATA ने बताया कि AI की वजह से वे अपने Agentic AI बिजनेस से लगभग 2 बिलियन डॉलर की कमाई के लक्ष्य पर ‘ऑन ट्रैक’ हैं। उनका कहना है कि AI से कंपनी को एक्सपोनेंशियल ग्रोथ दिख रही है।
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AI नौकरियां नहीं इंजीनियरों की जरूरत बढ़ाता है
AI के कारण इंजीनियरों की नौकरी खतरे में है। इस तरह की सोच को वुपरमैन ने गलत बताते हुए कहा कि AI के साथ इंजीनियर कम नहीं, बल्कि ज्यादा चाहिए। AI हमारे काम को तेज और बेहतर बनाता है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरों को हटाया नहीं जा रहा बल्कि उन्हें ज्यादा मूल्य वाले कामों में लगाया जा रहा है जहां AI उनकी क्षमता कई गुना बढ़ा देता है। इससे टीमें पहले से कहीं ज्यादा काम और प्रोजेक्ट पूरा कर पा रही हैं।
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भारत AI को लेकर उत्साहित, लेकिन ओवरकॉन्फिडेंस भी
NTT DATA की ग्लोबल AI रिपोर्ट में 34 देशों और 15 उद्योगों की 2,500 कंपनियां शामिल थीं। वुपरमैन ने बताया है कि भारतीय कंपनियां AI के प्रति सबसे ज्यादा उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि भारत का उत्साह प्रशंसनीय है, लेकिन कई कंपनियां इस सोच में आ जाती हैं कि AI अपनाना बहुत आसान है।
यही बात आगे चलकर चुनौतियां पैदा करती है। मजबूत कंपनियां पहले अपनी नींव तैयार करती हैं। जैसे कि साफ और भरोसेमंद डेटा, AI के लिए स्पष्ट बिजनेस रणनीति, सभी स्टेकहोल्डर्स की सहमति और सही, वैल्यू देने वाले यूज केस है, जो कंपनियां बिना तैयारी के सिर्फ FOMO में आती हैं, वे बाद में मुश्किलों का सामना करती हैं।
