Crypto Money Laundering: क्रिप्टो दुनिया में बड़ा झटका देने वाले कुनाल मेहता ने आखिरकार अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। मेहता ने RICO साजिश के तहत दोषी होने की बात मानी है। उस पर आरोप है कि उसने एक ऐसे बड़े स्कैम में हिस्सा लिया था, जिसमें 4,100 से ज्यादा Bitcoin चोरी किए गए थे। उस समय इन Bitcoin की कीमत 263 मिलियन डॉलर थी, जबकि इस हफ्ते यह मूल्य 384.5 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा पहुंच चुका है।
4,100 Bitcoin चोरी के मामले में कुनाल मेहता ने दोषी होने की बात मानी। उसने पैसे को कैश में बदलने, शेल कंपनियों और लग्जरी खरीदारी के जरिए छुपाने का काम किया। अमेरिकी एजेंसियां इस मामले की जांच में सक्रिय हैं।
कैसे चलता था कुनाल मेहता का मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क?
जांच के दस्तावेजों के मुताबिक, मेहता ने चोरी हुए Bitcoin को छुपाने और उन्हें नकद में बदलने के लिए अवैध वित्तीय सेवाएं दीं हैं। वह चोरी हुए BTC को कैश में बदलता था, शेल कंपनियों के जरिए पैसे वायर करता था और महंगी चीजें खरीदकर पैसों का पता छुपाता था। 2024 में मेहता ने कई शेल कंपनियां बनाई थीं, जिनके माध्यम से वह नकली बैंक खातों का इस्तेमाल कर करोड़ों डॉलर की मनी लॉन्ड्रिंग करता था।
जांच में यह भी सामने आया कि मेहता चोरी क्रिप्टो को अपने साथियों को भेजता था और फिर वह उससे भी ज्यादा एडवांस तरीकों से उसे ब्लॉकचेन पर घुमाकर असली स्रोत छुपा देते थे। इसके बाद वही पैसा फिर से मेहता की कंपनियों के खातों में वायर के रूप में वापस आता था।
मेहता की व्यक्तिगत भूमिका क्या थी?
सिर्फ डिजिटल लेन-देन ही नहीं मेहता खुद नकद कैश लेकर भी अपने साथियों को डिलीवर करता था। जब भी ग्रुप के किसी सदस्य को कैश चाहिए होता, मेहता खुद पैसा पहुंचाता। इसके अलावा, उसने ग्रुप के लिए भारी-भरकम लग्जरी चीजें भी खरीदीं। जैसे एक्सोटिक कारें, प्राइवेट जेट सेवाएं, महंगे रियल एस्टेट रेंटल और मेहता अपने काम के बदले 10% फीस लेता था।
यह सब कैसे शुरू हुआ?
2024 की शुरुआत में मेहता को इस क्रिमिनल ग्रुप के कुछ सदस्यों से मिलवाया गया। यह मुलाकात एक मनी एक्सचेंजर के माध्यम से हुई, जिसे लॉस एंजेलिस के एक लग्जरी कार डीलर भी जानते थे। शुरू में मेहता को सिर्फ हजारों डॉलर के क्रिप्टो को कैश में बदलने के लिए कहा गया, लेकिन धीरे-धीरे उसे पता चला कि मामला बहुत बड़ा है। असल चोरी एक धोखाधड़ी का हिस्सा थी, जिसमें 4,100 बिटकॉइन एक अज्ञात पीड़ित से चुरा लिए गए थे। स्कैम में शामिल ज्यादातर लड़के 18 से 20 साल की उम्र के थे। अचानक इतनी अमीरी दिखाने पर शक हो सकता था इसलिए उन्होंने मेहता की मदद ली कि पैसे को ऐसे घुमाया जाए कि कोई पकड़ ना सके।
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शेल कंपनियों के पीछे की चालाकी
पूरा ऑपरेशन अदृश्य बनाने पर टिका था। शेल कंपनियां बनाई गईं, नकली अकाउंट खोले गए, उन्हीं कंपनियों के जरिए क्रिप्टो वायर किया जाता, कैश निकाला जाता और महंगी कारें खरीदी जातीं। क्रिमिनल ग्रुप का फोकस था महंगी कारें खरीदना, लेकिन कारें अपने नाम पर नहीं ले सकते थे, वरना सवाल उठते हैं इसलिए मेहता ने कारों के टाइटल अपनी शेल कंपनियों के नाम पर करवाए। यहां तक कि उसने स्टॉ साइनर्स भी रखे, जिन्हें 10,000 डॉलर से ज्यादा दिए गए।
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सरकार की कार्रवाई और चेतावनी
यह पूरा केस दिखाता है कि अमेरिकी एजेंसियां डिजिटल एसेट्स से जुड़े अपराधों पर कितनी सख्ती से काम कर रही हैं। इस जांच में कई विभाग जुड़े हैं।
- S. Attorney’s Office (District of Columbia)
- FBI Washington Field Office
- IRS-Criminal Investigation
- FBI Los Angeles और Miami Offices
केस को असिस्टेंट यू.एस. अटॉर्नी केविन रोसेनबर्ग संभाल रहे हैं।
