Indian clinicians using AI: भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तेजी से अपनाई जा रही है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अब देश में 40% से अधिक क्लिनिशियन अपने काम में AI तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, जो पिछले वर्ष के 12% आंकड़े की तुलना में तीन गुना अधिक है। यह आंकड़ा वैश्विक औसत 48% से मेल खाता है और अमेरिका (36%) और ब्रिटेन (34%) को पीछे छोड़ देता है।
भारत में 40% से अधिक क्लिनिशियन अब AI तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल बदलाव को तेज़ कर रहा है।
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय क्लिनिशियन आने वाले समय में अधिकांश मरीजों के AI के जरिए स्व-निदान करने की संभावना देखते हैं। 52% भारतीय डॉक्टरों का मानना है कि यह कदम स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार करेगा। हालांकि, चीन (71%) और एशिया-प्रशांत क्षेत्र (56%) की तुलना में भारत अभी पीछे है।
रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि दो-तिहाई क्लिनिशियन अब पहले से अधिक मरीजों को देख रहे हैं, जिससे ‘बर्नआउट’ का खतरा बढ़ गया है। लगभग 20% डॉक्टर अपने करियर बदलने पर विचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि AI सही प्रशिक्षण और मजबूत गवर्नेंस के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र की समस्याओं को हल कर सकता है।
इस अवसर को पूरी तरह से भुनाने के लिए न केवल नीति निर्माण की आवश्यकता है, बल्कि क्लिनिशियनों को डिजिटल प्रशिक्षण देने और प्रशासनिक बोझ को कम करने पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सरकार के डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार सराहनीय है, लेकिन फ्रंटलाइन डॉक्टरों की अपेक्षा है कि इसे जल्दी से लागू किया जाए।
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इस रिपोर्ट के माध्यम से उद्योग, सरकार और संस्थानों को यह संदेश दिया गया है कि वे मिलकर भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में AI के उपयोग को तेज़ करें और क्लिनिशियनों की आवाज़ को प्रमुखता दें। यह कदम भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा और डिजिटल बदलाव की ओर ले जा सकता है।