Akatsuki mission: जापान की विज्ञान यात्रा का एक युग समाप्त हो गया है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने 18 सितंबर 2025 को अपने प्रसिद्ध वेनस ऑर्बिटर, अकात्सुकी (Akatsuki) का मिशन आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया। यह probe, जो “दॉन” के नाम से जाना जाता है, पिछले दशक से शुक्र ग्रह की कक्षा में सक्रिय था और अंतरिक्ष विज्ञान में कई अनूठी उपलब्धियां दी।
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जापान के अकात्सुकी मिशन का समापन हो गया है, जिसने शुक्र ग्रह की रहस्यमयी दुनिया पर कई अहम खुलासे किए। इसने वैज्ञानिकों को ग्रहों के वातावरण और मौसम विज्ञान को समझने का नया दृष्टिकोण दिया।
अकात्सुकी को 21 मई 2010 को तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। हालांकि शुरुआती प्रयास में दिसंबर 2010 में इंजन खराबी के कारण probe शुक्र की कक्षा में प्रवेश नहीं कर पाया। इसके बाद यह probe पांच साल तक सूर्य की परिक्रमा करता रहा। फिर भी मिशन इंजीनियरों ने सेकेंडरी थ्रस्टर्स का कुशल उपयोग कर इसे दिसंबर 2015 में शुक्र की कक्षा में डाल दिया, जिससे जापान का यह पहला planetary orbiter बन गया।
कक्षा में प्रवेश के बाद, अकात्सुकी ने शुक्र की घनी और कठिन वातावरण का 8 साल से अधिक समय तक अध्ययन किया। इसने सौर मंडल की सबसे बड़ी स्थिर ग्रेविटी वेव्स का पता लगाया, जिसे “माउंटेन वेव” कहा गया। इसके अलावा, इसने सुपर-रोटेटिंग वाइंड्स के रहस्य उजागर किए, जहां ग्रह का ऊपरी वायुमंडल सतह की तुलना में बहुत तेज गति से घूमता है।
अप्रैल 2024 में JAXA ने अकात्सुकी के साथ संपर्क खो दिया। probe ने कम-प्रिसिजन attitude control मोड में प्रवेश कर लिया था और कई प्रयासों के बावजूद संपर्क पुनः स्थापित नहीं हो सका। उम्र, तकनीकी चुनौतियों और लंबे समय तक मिशन के कारण JAXA ने इसे बंद करने का निर्णय लिया।
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अकात्सुकी के जाने के बाद, अब पृथ्वी के पास शुक्र की कक्षा में कोई सक्रिय अंतरिक्ष यान नहीं है। फिर भी इसका विज्ञान में योगदान और खोजी मार्गदर्शन आने वाले NASA, ESA और ISRO मिशनों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगा।