मार्क जुकरबर्ग इन दिनों अपनी कंपनी Meta के लिए एक नई टीम बना रहे हैं जिसका नाम Superintelligence Labs है। इस टीम का मकसद है दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बनाना।
Elon Musk vs Mark Zuckerberg: आजकल टेक्नोलॉजी वर्ल्ड में एक नई जंग चल रही है और ये जंग है टैलेंट को लेकर। AI के बढ़ते क्रेज के साथ ही बड़ी-बड़ी कंपनियां दुनियाभर से सबसे होशियार इंजीनियरों और रिसर्चर्स को अपने साथ जोड़ने में लगी हुई हैं। इस रेस में सबसे आगे हैं Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और Tesla के मालिक एलन मस्क।
जुकरबर्ग की टीम में टॉप AI टैलेंट
मार्क जुकरबर्ग इन दिनों अपनी कंपनी Meta के लिए एक नई टीम बना रहे हैं जिसका नाम Superintelligence Labs है। इस टीम का मकसद है दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बनाना। इसके लिए जुकरबर्ग दुनियाभर से सबसे होशियार लोगों को हायर कर रहे हैं, चाहे वह किसी भी कंपनी में काम कर रहे हों।
जुकरबर्ग ने कहा है कि जब आप अरबों डॉलर की मशीनें और सिस्टम खरीद रहे हों, तो उसमें काम करने वाले लोग भी टॉप क्लास के होने चाहिए। हम बेस्ट टैलेंट के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। Meta का कहना है कि वह 2025 तक अपने AI प्रोजेक्ट्स पर करीब 72 बिलियन डॉलर खर्च कर सकते हैं।
एलन मस्क का क्या है जवाब
वहीं, दूसरी ओर एलन मस्क ने दावा किया है कि अब Meta के कई इंजीनियर उनकी कंपनी xAI में शामिल हो गए हैं। मस्क ने कहा कि उनकी कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर पैसे से ज्यादा अपने काम और मिशन पर ध्यान दे रहे हैं। मस्क ने ट्वीट कर कहा कि हमारे पास एक मेहनत और काबिलियत पर आधारित टीम है। ये लोग सही में शानदार काम करते हैं। उन्हें अच्छी कमाई और तरक्की का मौका मिलता है। उन्होंने यह भी कहा, अगर आप एक सच्चे हार्डकोर इंजीनियर हैं, तो xAI आपके लिए सबसे अच्छी जगह है।
Meta ने किन-किन को अपनी टीम में लिया?
Meta ने हाल ही में Apple, OpenAI और GitHub जैसी बड़ी कंपनियों से कई टॉप रिसर्चर्स को अपने साथ जोड़ा है। Apple की AI टीम के पूर्व हेड रुओमिंग पेंग reportedly 200 मिलियन डॉलर के पैकेज पर Meta में शामिल हुए हैं। इसके अलावा OpenAI से शेंगजिया झाओ और कई अन्य टॉप रिसर्चर्स अब Meta के साथ काम कर रहे हैं। GitHub और Scale AI जैसी कंपनियों के एक्सपर्ट्स भी अब Meta की AI टीम का हिस्सा हैं।
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Llama 4 की नाकामी के बाद जुकरबर्ग हुए एक्टिव
खबरों के मुताबिक, Meta का AI मॉडल Llama 4 उतना सफल नहीं रहा जितनी उम्मीद थी। इसके बाद जुकरबर्ग ने अपनी रणनीति बदली और खुद ही इंजीनियरों से सीधे बात करने लगे। बताया जा रहा है कि वे कई रिसर्चर्स को अपने घर बुलाकर मीटिंग कर रहे हैं। इन सबका मकसद सिर्फ एक है सबसे बेहतर AI बनाना और दुनिया की सबसे स्मार्ट टीम तैयार करना।