Meta शोधकर्ताओं ने इन ब्रेन सिग्नल्स का विश्लेषण करने के लिए Brain2Qwerty नामक एक AI मॉडल को भी प्रशिक्षित किया।
Meta Brain Typing: Meta ने हाल ही में ब्रेन-टाइपिंग टेक्नोलॉजी को पेश किया है। यह फीचर आपके दिमाग से सोचने भर से टेक्स्ट टाइप करने की सुविधा देता है। यह एक नॉन-इनवेसिव टेक्नोलॉजी है, जो न्यूरल सिग्नल को पढ़कर उसे टेक्स्ट में बदल देती है। हालांकि, इसे जल्द ही किसी प्रोडक्ट में देखने की संभावना नहीं है।
हार्डवेयर की सीमाएं, डेटा प्राइवेसी, नैतिक सवाल और कानूनी अड़चनें इसे मार्केट के लिए तैयार तकनीक बनने की अनुमति नहीं देती हैं। दरअसल, 2017 में Facebook, जिसे अब Meta कहा जाता है। इस सिस्टम को काम करने के लिए बहुत महंगी मशीनों की जरूरत होती है।
Meta Brain Typing कितनी एडवांस है?
Meta लंबे समय से ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस पर काम कर रहा है। हाल ही में उन्होंने एक गैर-आक्रामक मस्तिष्क-टाइपिंग प्रणाली का प्रदर्शन किया है, जिसमें EEG और AI मॉडल का उपयोग किया गया था। शोध के अनुसार, यह मस्तिष्क के संकेतों को पढ़ सकता है और उन्हें लगभग 80% सटीकता के साथ पाठ में परिवर्तित कर सकता है।
यह टेक्नोलोजी एक विशेष मस्तिष्क स्कैनर पर निर्भर करती है, जिसे मैग्नेटोएन्सेफेलोग्राफी मशीन कहा जाता है। इसे मस्तिष्क की गतिविधि द्वारा बनाए गए छोटे चुंबकीय संकेतों का पता लगाती है। स्कैनर इतना बड़ा और संवेदनशील है कि इसे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से हस्तक्षेप को रोकने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए कमरे में रखा जाना चाहिए।
Meta शोधकर्ताओं ने इन मस्तिष्क संकेतों का विश्लेषण करने के लिए Brain2Qwerty नामक एक AI मॉडल को भी ट्रेन किया है। जैसे-जैसे यह कीबोर्ड पर टाइप करता गया, AI ने डेटा में पैटर्न को स्पेशल करैक्टर्स से मिलाना सीख लिया। समय के साथ, सिस्टम इतना सटीक हो गया कि यह 80% समय में सटीक रूप से अनुमान लगा सकता था कि कोई व्यक्ति किस अक्षर के बारे में सोच रहा है।
अभी प्रेक्टिकल नहीं है यह टेक्नोलॉजी
मौजूदा EEG डिवाइस बड़ी और महंगी हैं। इन्हें छोटा, सटीक और किफायती बनाने में समय लग सकता है। हर व्यक्ति के मस्तिष्क का पैटर्न अलग-अलग होता है, जिससे सभी के लिए एक यूनिवर्सल सिस्टम बनाना मुश्किल हो जाता है।
Meta Brain Typing एक रोमांचक तकनीक है, लेकिन यह अभी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होगी। इसमें कई तकनीकी और नैतिक चुनौतियां हैं, जिन्हें हल करने में कई साल लग सकते हैं। हालांकि, यह भविष्य में ब्रेन-कंट्रोल तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।