क्या जंग का भविष्य तय हो गया? अमेरिका की रोबोट आर्मी ने मचाया हलचल

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अमेरिका की रोबोट आर्मी ने मचाया हलचल
December 19, 2025

US robot army:  दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल अमेरिका अब युद्ध के मैदान में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। इंसानी सैनिकों के साथ-साथ अब Robots को भी फ्रंटलाइन पर उतारने की योजना बन रही है। चीन के बाद अमेरिका का यह कदम साफ इशारा करता है कि आने वाले वर्षों में जंग का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।

अमेरिका बना रहा है 50 हजार रोबोट सैनिक। इंसानी जान बचाने के लिए रोबोट जाएंगे सबसे पहले जंग में, जानिए इस आर्मी रोबोट की खूबियां।

सैन फ्रांसिस्को की कंपनी बना रही है इसे

सैन फ्रांसिस्को स्थित एक रोबोटिक्स कंपनी Foundation तेज़ी से ह्यूमनॉइड आर्मी रोबोट तैयार कर रही है। कंपनी का लक्ष्य साल 2027 तक करीब 50 हजार रोबोट बनाना है। इन रोबोट्स को Phantom MK-1 नाम दिया गया है। शुरुआत में Phantom MK-1 को इंडस्ट्रियल कामों के लिए डिजाइन किया गया था। लेकिन अब इन्हें सैन्य जरूरतों के मुताबिक ढाला जा रहा है। इन रोबोट्स को सेना के खतरनाक अभियानों में इस्तेमाल करने की तैयारी है।

दी जा रही है इंसानी सैनिक जैसी ताकत

Phantom MK-1 कद-काठी में लगभग एक इंसानी सैनिक जितना है। इसकी लंबाई करीब 5 फुट 9 इंच और वजन लगभग 175 से 180 पाउंड बताया जा रहा है। डिजाइन इस तरह किया गया है कि यह इंसानों के साथ मिलकर काम कर सके। इन रोबोट्स को खास तौर पर उन मिशनों के लिए तैयार किया जा रहा है, जहां इंसानी जान को सबसे ज्यादा खतरा होता है। जैसे दुश्मन इलाके की निगरानी, बम निष्क्रिय करना और खतरनाक ज़ोन में घुसकर अहम जानकारी जुटाना।

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दिग्गज टेक कंपनियों के इंजीनियर शामिल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने पहले 2026 तक 10 हजार रोबोट बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसे कई गुना बढ़ा दिया गया है। 2027 के अंत तक कुल 50 हजार यूनिट्स तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी की टीम में Tesla , बोस्टन डायनेमिक्स और SpaceX जैसी दिग्गज कंपनियों में काम कर चुके अनुभवी इंजीनियर शामिल हैं, जो इस प्रोजेक्ट को तकनीकी मजबूती दे रहे हैं।

किराए पर होगा इस्तेमाल

दिलचस्प बात यह है कि कंपनी इन रोबोट्स को बेचने के बजाय किराए पर देने की योजना पर काम कर रही है। हर रोबोट का सालाना किराया करीब एक लाख डॉलर रखा गया है। कंपनी का तर्क है कि एक रोबोट बिना थके लंबे समय तक काम कर सकता है, जिससे कई इंसानी सैनिकों या कर्मचारियों की जरूरत कम हो सकती है और जोखिम भी घटेगा।

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कम शोर और इंसानों के लिए सुरक्षित

तकनीकी रूप से Phantom MK-1 को सादगी और मजबूती के साथ डिजाइन किया गया है। महंगे सेंसर की जगह कैमरा आधारित सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे डेटा प्रोसेसिंग आसान हो जाती है। इन रोबोट्स में लगे एक्ट्यूएटर्स ताकतवर होने के साथ-साथ कम शोर करते हैं और इंसानों के आसपास काम करने के लिहाज से सुरक्षित माने जाते हैं।

हथियार चलाने का फैसला इंसान के हाथ में

कंपनी का दावा है कि ये रोबोट अपने आप हथियार चलाने का फैसला नहीं करेंगे। किसी भी तरह की फायरिंग या घातक कार्रवाई का निर्णय हमेशा मानव ऑपरेटर ही लेगा। इस नीति का मकसद पूरी तरह ऑटोनॉमस हथियारों को लेकर उठने वाली नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को कम करना है।

सैन्य विशेषज्ञों की चेतावनी

इसके बावजूद, सैन्य विशेषज्ञ इस तकनीक को लेकर सतर्क हैं। उनका मानना है कि जब सैनिकों की जान को खतरा कम होगा, तो युद्ध शुरू करने के फैसले राजनीतिक रूप से आसान हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, तकनीक जहां एक ओर सुरक्षा बढ़ाएगी, वहीं दूसरी ओर नए नैतिक और रणनीतिक सवाल भी खड़े करेगी।

चीन पहले ही कर चुका है ऐसी पहल

बता दे कि इससे पहले चीन भी सीमावर्ती इलाकों में रोबोट सैनिकों की तैनाती की योजना बना चुका है। वियतनाम सीमा पर रोबोट्स की मौजूदगी की चर्चा पहले ही हो चुकी है। अब अमेरिका के इस कदम से साफ है कि वैश्विक सैन्य संतुलन एक नए, रोबोटिक दौर की ओर बढ़ रहा है। जहां भविष्य की जंग में इंसानों से ज्यादा मशीनें लड़ती नजर आ सकती हैं।

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