Meta ने अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों को जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट वाटरवर्थ की घोषणा की है।
Meta: Meta दुनिया का सबसे लंबा अंडरवॉटर केबल प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। समुद्र के अंदर बिछाया जाने वाला यह नेटवर्क अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और दुनिया के दूसरे हिस्सों को आपस में जोड़ेगा। कंपनी ने इसका नाम ‘प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ’ का नाम दिया है। इस प्रोजक्ट के तहत समुंद्र के अंदर 50,000 किलोमीटर लंबी केबल बिछाई जाएगी। यह लंबाई धरती की परिधि से भी ज्यादा है।
क्या कहती है कंपनी
Meta ने कहा कि यह 24 फाइबर-जोड़ी प्रणाली का यूज करने वाली सबसे लंबी केबल होगी, जो इसकी क्षमता को बढ़ाएगी और कंपनी की AI परियोजनाओं में हेल्प करेगी। यह केबल अमेरिका, भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन कनेक्टिविटी देगी। यह प्रोजेक्ट इन क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग, डिजिटल समावेशन और तकनीकी विकास के अवसर प्रदान करेगी। Meta ने भारत के बारे में बात करते हुए कहा कि इसने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में इनवेस्ट और डेवलपमेंट देखा है। ‘प्रोजेक्ट वाटरवर्थ’ इस विकास को गति देने और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए देश की महत्वाकांक्षी योजना को प्राप्त करने में हेल्प करेगा।
7000 मीटर गाड़ी जाएगी केबल
Meta ने कहा है कि यह केबल अंडरवाटर में 7,000 मीटर की गहराई पर बिछाई जाएगी। इसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में गाड़ने के लिए स्पेशल टेक्नोलॉजी का यूज किया जाएगा। इन केबलों को लंगर डालने वाले जहाजों से होने वाले नुकसान और अन्य खतरों से बचाने के लिए इसे गहराई पर गाड़ा जा रहा है।
अंडरवाटर केबल पर निर्भर है इंटरनेट ट्रैफिक
पूरी दुनिया का इंटरनेट ट्रैफिक समुद्र के अंदर बिछे केबल के नेटवर्क पर निर्भर है। करीब 95 फीसदी इंटरनेट ट्रैफिक इन्हीं केबल के जरिए ट्रांसफर होता है, जिसको लेकर इनकी सेफ्टी को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं। पिछले साल बाल्टिक सागर में ये केबल डैमेज हो गई थीं, जिसके बाद NATO ने इनकी निगरानी बढ़ाने का मिशन शुरू किया है। वहीं, पिछले साल जुलाई में टोंगा को इंटरनेट से जोड़ने वाली केबल डैमेज हो गई थी, जिसके बाद यहां के बड़े हिस्से में इंटरनेट बंद हो गया था। ऐसा होने से वहां के लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।