गलती से भी इस्तेमाल न करें पब्लिक WiFi, जानिए सुरक्षित विकल्प

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WiFi
February 16, 2025

पब्लिक WiFi का यूज करने पर हैक होने का खतरा बढ़ जाता है। पब्लिक WiFi का इस्तेमाल करना क्यों खतरे से खाली नहीं है और इसके विकल्प क्या हैं।

Public WiFi Risk: यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने हाल ही में छात्रों को सलाह दी है कि वह पब्लिक WiFi का यूज करके अपने अकाउंट में लॉग इन न करें। UGC ने कहा है कि इसका यूज करके लोग स्कैम का शिकार हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि पब्लिक WiFi क्यों सेफ नहीं है। आइए जानते हैं पब्लिक WiFi का यूज करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और इसकी जगह क्या बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

क्या होता है पब्लिक WiFi

यह एक प्रकार का वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन है, जो बस स्टॉप, रेलवे, एयरपोर्ट, कैफे, रेस्टोरेंट और पब्लिक लाइब्रेरी जैसी कई पब्लिक प्लेस पर होती है। अक्सर पब्लिक WiFi सुविधा पूरी तरह से फ्री होती है। ऐसे में इससे कनेक्ट होने के लिए एक कॉमन पासवर्ड की जरूरत होती है। हालांकि, कई जगहों पर पब्लिक WiFi नेटवर्क खुला रखा जाता है।

पब्लिक WiFi क्यों होता है खतरनाक

पब्लिक WiFi से कोई भी कहीं भी जुड़ सकता है, इसलिए ऐसे ओपन नेटवर्क पर हमेशा हैकर्स की नजर रहती है। हैकर्स पब्लिक WiFi से जुड़े डिवाइस में वायरस या मैलवेयर डाल सकते हैं, जो आपके सिस्टम को हैक कर सकते हैं। यही कारण है कि पब्लिक WiFi का यूज करने पर हैकिंग और डेटा चोरी का खतरा बढ़ जाता है।

इन जगहों पर पब्लिक WiFi होता है खतरनाक

आपको कैफे, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल, रेलवे स्टेशन, होटल और रिसॉर्ट में पब्लिक वाई-फाई की सुविधा मिलती है, लेकिन कई जगहों पर नेटवर्क सिक्योरिटी स्ट्रॉन्ग नहीं होती। ऐसे में अगर हैकर्स इन जगहों को निशाना बनाते हैं, तो यूजर्स की सारी इनफॉर्मेशन चुराई जा सकती है।

इन जगहों पर WiFi सिक्योरिटी को अपडेट रखने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, जिसकी वजह से हैकर्स आसानी से इन्हें निशाना बना लेते हैं। पब्लिक WiFi से कनेक्ट होने पर बैंकिंग अकाउंट, सोशल मीडिया, जीमेल और दूसरे पर्सनल अकाउंट खोलने से बचना चाहिए, जिनमें पासवर्ड की जरूरत होती है।

पब्लिक WiFi के सेफ ऑप्शन क्या है?

  • अपनी पर्सनल इन्फोरमेशन को सिक्योर रखने के लिए पब्लिक इंटरनेट का यूज न करें।
  • मोबाइल हॉटस्पॉट पब्लिक WiFi से कहीं ज्यादा सेफ है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें डेटा ट्रांसफर एन्क्रिप्टेड होता है, जिससे साइबर अटैक की संभावना कम हो जाती है।
  • फोन के इंटरनेट कनेक्शन को लैपटॉप या कंप्यूटर के साथ शेयर करना USB टेथरिंग कहलाता है। इसमें USB केबल का यूज करके मोबाइल को लैपटॉप से ​​कनेक्ट करके इंटरनेट शेयर किया जाता है। यह पब्लिक वाई-फाई की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित और स्थिर कनेक्शन देता है।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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