6G सेमीकंडक्टर की खोज से बदलेगा भविष्य, चलेंगी ऑटोमैटिक कारें

6 mins read
168 views
Bristol University research
May 28, 2025

6G सिर्फ एक नेटवर्क अपग्रेड नहीं होगा, बल्कि यह हमारी सोच, काम करने के तरीके और जिंदगी के हर पहलू को छू जाएगा

6G Semiconductors: ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो आने वाले समय में टेक्नोलॉजी की दुनिया की तस्वीर बदल सकता है। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी डेवलप की है, जो 6G नेटवर्क को संभव बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकती है। इस खोज से न सिर्फ इंटरनेट की रफ्तार कई गुना तेज होगी, बल्कि AI, स्मार्ट ऑटोमेशन और दूर बैठे इलाज जैसी कल्पनाएं भी हकीकत में बदल सकती हैं।

कैसा होगा 6G का भविष्य?

जरा सोचिए, एक ऐसा समय जब सड़क पर सिर्फ सेल्फ-ड्राइविंग गाड़ियां चल रही हों, कोई ट्रैफिक नहीं हो, और आप घर बैठे डॉक्टर से जांच और इलाज करवा सकें। अपने प्रियजनों से सिर्फ वीडियो कॉल ही नहीं, बल्कि वर्चुअल रिएलिटी के जरिए उन्हें महसूस भी कर सकें। सुनने में ये सब किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन साइंटिस्ट की इस नई खोज के बाद ये सब जल्द ही हमारी जिंदगी का हिस्सा बन सकता है।

क्या है सेमीकंडक्टर की यह नई टेक्नोलॉजी?

सेमीकंडक्टर ऐसे टूल होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। यही टेक्नोलॉजी हमारे मोबाइल, कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस और हजारों तरह की मशीनों में इस्तेमाल होती है। 5G से 6G में जाने के लिए केवल नेटवर्क नहीं, बल्कि इसमें इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर को भी और अधिक शक्तिशाली और तेज बनाना जरूरी है।

साइंटिस्टों ने इसी दिशा में काम करते हुए गैलियम नाइट्राइड नामक सेमीकंडक्टर को एक नई डिजाइन में ढाला है। उन्होंने इसमें ऐसे खास नैनो-पंख लगाए हैं, जो इलेक्ट्रॉन के बहाव को बहुत तेज कर देते हैं। इसकी वजह से डेटा को भेजने और रिसीव करने की स्पीड 75 से 110 गीगाहर्ट्ज के बीच पहुंच सकती है, जो कि आज की टेक्नोलॉजी से कई गुना तेज है।

लैच इफेक्ट की पहचान

इस रिसर्च के दौरान साइंटिस्टों को लैच इफेक्ट नाम की एक अनोखी प्रक्रिया का पता चला, जो पहले कभी नहीं देखी गई थी। यह असर उन डिवाइसेज में देखने को मिला, जिनमें चौड़े फिन्स का इस्तेमाल हुआ था। अच्छी बात यह है कि यह प्रभाव डिवाइस के प्रदर्शन को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता।

आने वाला कल होगा पूरी तरह बदल

शोध टीम के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर मार्टिन कुबॉल का कहना है कि यह खोज भविष्य की तकनीक को नई उड़ान दे सकती है। आने वाले 10 सालों में हम वर्चुअल टूरिज्म, दूरस्थ शिक्षा, रिमोट हेल्थकेयर और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम जैसी चीजों को रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते देखेंगे।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

iPad
Previous Story

WhatsApp का नया ऐप हुआ लॉन्च, सिर्फ ये यूजर कर सकेंगे इस्तेमाल

Apple product
Next Story

Apple ने 5 सालों में रोकी 75,000 करोड़ की ठगी, जानें App Store क्यों है सुरक्षित?

Latest from Latest news

Telegram CEO Decision: 106 बच्चों के पिता पावेल ड्यूरोव बाटेंगे 1.5 लाख करोड़ का खजाना

Telegram CEO Decision: 106 बच्चों के पिता पावेल ड्यूरोव बाटेंगे 1.5 लाख करोड़ का खजाना

106 बच्चों के पिता पावेल ड्यूरोव अपनी 17 अरब डॉलर की संपत्ति बच्चों को देना चाहते हैं। पावेल ड्यूरोव को टेक इंडस्ट्री में दूसरा
Url- Air India Plane Crash Black Box technology reveal secret of plane accident

Air India Plane Crash: क्या है ‘Black Box’ टेक्नोलॉजी, कैसे खोलता है प्लेन हादसे का राज

अहमदाबाद में हुए दर्दनाक एयर इंडिया हादसे में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड ने क्रैश साइट से ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया है। क्या है ये

Don't Miss