Durga Puja 2025: इस साल कोलकाता की दुर्गा पूजा में परंपरा और तकनीक का एक अनोखा मिलन देखने को मिल रहा है। जगत मुखर्जी पार्क के पंडाल में AI को केंद्र में रखा गया है। इस पंडाल को कलाकार सुबल पाल ने तैयार किया है, जिसका विषय AI: वर या अभिशाप है। इसमें मां दुर्गा की पारंपरिक छवि को भविष्यवाद और डिजिटल कल्पना के साथ जोड़ा गया है।
कोलकाता की दुर्गा पूजा में इस बार AI और कला का अनोखा संगम देखने को मिला है। पंडाल, मूर्ति निर्माण और अल्पना में AI का प्रयोग उत्सव को नई दिशा दे रहा है।
पंडाल का अनोखा स्वरूप
पंडाल एक विशाल टाइम मशीन जैसा प्रतीत होता है जिसमें बड़े-बड़े भवन, मुड़े हुए कीबोर्ड और रोबोट जैसे शहर के दृश्य हैं। पंडाल के नीचले हिस्से में माता दुर्गा की पारंपरिक छवि है जो महिषासुर का वध कर रही हैं। इस बार महिषासुर AI के गलत इस्तेमाल और अति निर्भरता का प्रतीक है। यह पंडाल सिर्फ भला-बुरा के संघर्ष को नहीं दर्शाता है बल्कि यह तकनीक का जिम्मेदार उपयोग करने का संदेश भी देता है।
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परंपरा और आधुनिकता का संगम
कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल हर साल नए विचारों और मुद्दों से प्रेरित होते हैं। कभी मेट्रो अंडरग्राउंड, कभी राजनीतिक व्यंग्य। पूरा शहर एक खुला कला स्थल बन जाता है। इस साल का AI-थीम वाला पंडाल इस परंपरा को आगे बढ़ाता है और आध्यात्मिकता के साथ तकनीक पर वैश्विक बहस को जोड़ता है।
मूर्ति निर्माण में AI का प्रयोग
कुमारतुली के सदियों पुराने केंद्र में भी AI का असर दिख रहा है। टेक्स्ट-टू-इमेज टूल्स से तैयार डिजाइन को कुम्हार मिट्टी में मूर्तियों के रूप में ढाला जाता है। अनुभवी कलाकार मोंटी पॉल के अनुसार, AI-जनित डिजाइन आधुनिक दुर्गा प्रतिमाओं में तेजी से जगह बना रही हैं।
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सड़कों पर AI कला
पंडाल ही नहीं, सड़कों पर भी AI का प्रयोग देखने को मिला। न्यूटाउन में एक इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड और कलाकारों की टीम ने पहली AI-जनित अल्पना बनाई जिसे बड़े पैमाने पर दीवार कला में रूपांतरित किया गया। इस साल की दुर्गा पूजा यह दर्शाती है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता का संगम उत्सव को और भी गहराई और रंगीन बना सकता है।