Gig Workers Strike: भारत की Gig इकोनॉमी में इस समय बड़ी हलचल मची हुई है। 31 दिसंबर को डिलीवरी कर्मचारियों ने देशभर में हड़ताल करने का ऐलान किया है। इसका मुख्य कारण 10 मिनट डिलीवरी मॉडल है। यूनियन का कहना है कि यह मॉडल कर्मचारियों के लिए असुरक्षित और अन्यायपूर्ण है। कर्मचारियों को पहले से ही कम वेतन, लंबी डिलीवरी शिफ्ट और मानसिक दबाव झेलना पड़ रहा है।
भारत में गिग वर्कर्स की 31 दिसंबर को हड़ताल, 10 मिनट डिलीवरी मॉडल पर विरोध और कर्मचारियों की सुरक्षा व वेतन की मांग।
यूनियन की मांगें
तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन ने कहा है कि अगर कंपनियां उनकी मांगें नहीं मानती हैं, तो प्रमुख शहरों में डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। यूनियन का दावा है कि हजारों कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे। उनका मुख्य जोर वेतन, एल्गोरिदम और सामाजिक सुरक्षा जैसे पुराने मुद्दों को हल कराने पर है।
TGPWU के अध्यक्ष शैख सल्लाउद्दीन ने कहा कि सभी प्लेटफॉर्म्स को 10 मिनट डिलीवरी विकल्प हटाना चाहिए और पुराने भुगतान सिस्टम पर लौटना चाहिए। उनका कहना है कि नई पॉलिसी ने कर्मचारियों की सैलरी में भारी कटौती की है और उन्हें मानसिक तनाव में डाल दिया है। अनुमान है कि 25 दिसंबर की पहले चरण की हड़ताल में लगभग 40,000 Gig वर्कर्स शामिल हुए थे।
कर्मचारियों की समस्याएं
यूनियन का कहना है कि अब काम एल्गोरिदम के अनुसार तय होता है, जो काम, इनाम और दंड का फैसला करता है, लेकिन यह ट्रांसपेरेंट नहीं है। कर्मचारी लंबे समय तक काम करने के बावजूद पर्याप्त प्रोत्साहन, शिकायत निवारण और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं। इसके अलावा, कुछ प्लेटफॉर्म्स ने हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों की ID ब्लॉक कर दी हैं और गोदामों के बाहर सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं, जिससे कर्मचारियों में डर का माहौल बन गया है।
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राष्ट्रीय समर्थन
इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने Swiggy, Zomato, Zepto and Amazon से जुड़े Gig वर्कर्स को एकजुट किया है। यूनियन के अनुसार, देश में 1.5 लाख से अधिक कर्मचारी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और यह संख्या बढ़ सकती है। 25 दिसंबर की हड़ताल में यूनियन ने बताया कि डिलीवरी में 50-60 प्रतिशत देरी हुई थी। उन्होंने चेतावनी दी है कि 31 दिसंबर को यह स्थिति और व्यापक हो सकती है।
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राजनीतिक ध्यान
इस हड़ताल ने राजनीतिक ध्यान भी खींचा है। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चौधरी ने 10 मिनट डिलीवरी ऐप्स पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि Gig वर्कर्स पर अत्यधिक दबाव है, जबकि कंपनियों की वैल्यू अरबों डॉलर में है। उन्होंने कर्मचारियों के लिए निर्धारित कार्य घंटे और बुनियादी श्रम सुरक्षा लागू करने की भी मांग की।
