CBI Geneva Mission Fraud: भारत के स्थायी मिशन Geneva से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक, मिशन में तैनात एक पूर्व अकाउंट्स अधिकारी ने सरकारी फंड से 2 करोड़ से ज्यादा की रकम निकालकर अपने निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली है। इस पैसे का इस्तेमाल उसने क्रिप्टो ट्रेडिंग और ऑनलाइन जुए में किया। इस मामले में CBI ने केस दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
क्रिप्टो और ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए सरकारी फंड का इस्तेमाल! CBI ने Geneva मिशन से जुड़े करोड़ों के घोटाले की परतें खोलीं, कई गंभीर खुलासे।
कौन है आरोपी अधिकारी?
CBI ने इस मामले में मोहित नाम के अधिकारी को आरोपी बनाया है। 2024 में Geneva स्थित भारत के स्थायी मिशन में असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर के तौर पर तैनात हुआ था। मोहित ने 2024 को अपनी जिम्मेदारी संभाली थी। कुछ ही समय बाद उसे मिशन के भुगतान से जुड़े अहम काम सौंपे गए, जिसका उसने कथित तौर पर गलत फायदा उठाया।
मिशन में क्या थी उसकी भूमिका?
मोहित को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह मिशन के भुगतान से जुड़े दस्तावेज Union Bank of Switzerland में जाकर खुद जमा करे। इस बैंक में मिशन के अमेरिकी डॉलर और स्विस फ्रैंक में खाते हैं।
मिशन आमतौर पर स्विट्जरलैंड के स्थानीय वेंडर्स को भुगतान करता है। इन भुगतानों के लिए:
- वेंडर्स की इनवॉइस पर पहले से छपे QR कोड होते हैं
- QR कोड में वेंडर के बैंक अकाउंट की पूरी जानकारी होती है
- भुगतान निर्देश एडमिनिस्ट्रेशन और ड्रॉइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर के साइन होते हैं
- एक स्लिप के साथ कई QR कोड लगाए जाना आम प्रक्रिया थी
मोहित इन सभी दस्तावेजों को फिजिकली बैंक तक पहुंचाने का काम करता था।
कैसे की गई रकम की हेराफेरी?
CBI की जांच में सामने आया है कि मोहित ने इस प्रक्रिया का फायदा उठाया। आरोप है कि उसने असली वेंडर के QR कोड हटाए, उनकी जगह अपने बनाए हुए QR कोड लगा दिए। ये QR कोड उसके निजी स्विस फ्रैंक अकाउंट से जुड़े थे। इस तरह जिन पैसों का भुगतान वेंडर्स को होना था, वे सीधे मोहित के निजी खाते में चले गए।
कितनी रकम निकाली गई?
जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस तरीके से मोहित ने CHF 200,000 से ज्यादा कई महीनों में धीरे-धीरे निकाल लिए। अधिकारियों का कहना है कि उसने भुगतान की रसीदों के साथ लगे Acknowledgement Slips में कोई छेड़छाड़ नहीं की, जिससे शुरुआत में किसी को शक नहीं हुआ।
बैंक स्टेटमेंट में भी की गई हेराफेरी
CBI के अनुसार, मोहित ने पकड़े जाने से बचने के लिए एक और चाल चली। उसने मासिक बैंक स्टेटमेंट्स में अपने नाम को हटाया, उसकी जगह वेंडर्स के नाम जोड़ दिए। इन्हीं बदले हुए स्टेटमेंट्स से अकाउंट रीकॉन्सिलिएशन किया जाता रहा है। इस वजह से कई महीनों तक यह घोटाला पकड़ में नहीं आया है।
कैसे खुला मामला?
मामला तब सामने आया जब ऑडिट के दौरान एक लोकल फर्म Ejey Travels को डुप्लीकेट पेमेंट का मामला सामने आया है। इसके बाद जब खातों की गहराई से जांच की गई, तब असली गड़बड़ी उजागर हुई और पता चला कि करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है।
पूछताछ में कबूलनामा
अधिकारियों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान मोहित ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि उसने सरकारी पैसे क्रिप्टो ट्रेडिंग और ऑनलाइन जुआ के लिए इस्तेमाल किए।
भारत वापसी और आंशिक रिकवरी
मामला सामने आते ही मोहित को तुरंत भारत वापस भेज दिया गया, उसकी पत्नी और बच्चों को भी साथ लाया गया है। मोहित ने दावा किया है कि उसने CHF 12,830 Ejey Travels को दिए। यह रकम मिशन के खाते में क्रेडिट पाई गई। इसके अलावा, उसने भारत लौटने से पहले CHF 9,825, CHF 28,000 भी मिशन के खाते में जमा कराए।
किन धाराओं में केस दर्ज?
CBI ने मोहित के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी, खातों में हेराफेरी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं जैसे आरोप लगाए हैं। हालांकि, जांच अभी जारी है।
क्या यह अकेला मामला है?
CBI अधिकारियों का कहना है कि यह कोई इकलौता मामला नहीं है। हाल के महीनों में कई सरकारी अधिकारी ऑनलाइन ट्रेडिंग, जुआ और क्रिप्टो निवेश के लिए सरकारी या सार्वजनिक फंड का गलत इस्तेमाल करते पकड़े गए हैं।
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पहले के बड़े मामले
- एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर फाइनेंस मैनेजर राहुल विजय पर 232 करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का आरोप लगा है।
- बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी हितेश सिंगला पर 127 खातों से 16 करोड़ निकालने का आरोप
ऑपरेशन चक्र-V: CBI का साइबर अपराध पर प्रहार
इसी बीच, CBI ने ऑपरेशन चक्र-V के तहत दिल्ली, नोएडा, चंडीगढ़ में छापेमारी कर एक बड़े फिशिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है।
हजारों फर्जी SIM और ठगी का जाल
छापेमारी में CBI ने बरामद किया SIM बॉक्स, सर्वर, मोबाइल और कम्युनिकेशन डिवाइस, USB हब, डोंगल, कैश और डिजिटल सबूत और क्रिप्टोकरेंसी। जांच में पता चला कि हजारों अवैध SIM कार्ड से फर्जी लोन और नकली निवेश स्कीम के मैसेज देशभर में भेजे जा रहे थे।
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अब तक की गिरफ्तारी
इस मामले में अब तक सोनवीर सिंह, मनीष उप्रेती, हिमालय को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, जांच जारी है और आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं।
