RBI Crypto: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एक बार फिर साफ कहा है कि भारत क्रिप्टोकरेंसी को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। उनका कहना है कि निजी Crypto एसेट्स और स्टेबलकॉइन में इतने बड़े जोखिम हैं कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।
गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार क्रिप्टो और स्टेबलकॉइन में बड़े जोखिम हैं, जानें भारत में RBI की नीतियां और डिजिटल मुद्रा की योजना।
Crypto पर RBI का कड़ा रुख
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बोलते हुए मल्होत्रा ने दो टूक कहा कि Stablecoins, Crypto इनमें बहुत बड़े जोखिम हैं इसलिए RBI इन पर बेहद सावधानी के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल इनोवेशन जैसे UPI, डिजिटल लेंडिंग और फिनटेक सुधारों पर RBI पूरी तरह सपोर्ट करता है, लेकिन जब बात निजी क्रिप्टोकरेंसी की आती है तो स्थिति बहुत अलग है।
हालिया स्थिति क्या है?
मल्होत्रा ने साफ किया है कि Crypto को लेकर अब अगला कदम सरकार को तय करना है। सरकार की एक वर्किंग ग्रुप इस विषय पर काम कर रही है। फिलहाल, भारत में Crypto पर कोई अलग कानून नहीं है। इसके बजाय सरकार ने एंटी मनी लॉन्ड्रिंग नियम 30% टैक्स, 1% TDS के सहारे Crypto के उपयोग को सख्ती से नियंत्रित किया है।
डॉलर Stablecoins का बढ़ता दबदबा
RBI गवर्नर ने बताया कि USDT और USDC जैसे डॉलर बैक्ड Stablecoins का मार्केट 300 अरब डॉलर के पार जा चुका है। यह स्थिति दुनिया भर की मौद्रिक नीतियों पर बड़ा असर डाल सकती है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन भी चेतावनी दे चुके हैं कि डॉलर Stablecoins का बढ़ता उपयोग केंद्रीय बैंकों के लिए नई चुनौती बन सकता है।
RBI चाहती है CBDC को बढ़ावा
मल्होत्रा ने कहा कि भारत में भुगतान के लिए RBI अपनी खुद की डिजिटल मुद्रा CBDC के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहता है। पिछले महीने भी उन्होंने दुनिया के सेंट्रल बैंकों से कहा कि अंतरराष्ट्रीय भुगतान सुधारने के लिए CBDC बेहतर विकल्प हैं।
भारत में क्रिप्टो एक्सचेंजों पर असर
भारत में क्रिप्टो एक्सचेंजों को रजिस्ट्रेशन, KYC और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों का पालन करना होता है, लेकिन भारी टैक्स और RBI की चेतावनियों के कारण एक्सचेंजों की गतिविधियाँ काफी कम हो गई हैं। कई एक्सचेंज औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से दूर हो चुके हैं।
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रुपये की कमजोरी पर RBI का रुख
इसी कार्यक्रम में मल्होत्रा ने रुपये में गिरावट पर भी बात की। उन्होंने कहा कि RBI रुपये का कोई निश्चित लक्ष्य नहीं रखता। अभी जो कमजोरी दिखी है उसका कारण है अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर टैरिफ बढ़ाना है। उन्होंने कहा है कि भारत-अमेरिका व्यापार बातचीत में प्रगति होने से हालात बेहतर हो सकते हैं। भारत के 690 अरब डॉलर के फॉरेक्स रिजर्व भी एक मजबूत सुरक्षा कवच हैं।
भारत में स्टेबलकॉइन के शुरुआती उपयोग के संकेत
कुछ भारतीय प्रवासी रेमिटेंस भेजने के लिए USDT का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, मात्रा अभी कम है कई बार भारत में USDT की कीमत डॉलर से ज्यादा भी बिकती दिखी है, जिससे बाजार की निगाह इस पर बनी रहती है।
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नीति में बदलाव की मांग बढ़ रही है
BJP प्रवक्ता प्रदीप भंडारी और RBI के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी. पद्मनाभन दोनों कह चुके हैं कि स्टेबलकॉइन और क्रिप्टो को अलग-अलग समझकर नीति बनानी चाहिए।
