प्रणेत की Paraspeak डिवाइस से जो बोल नहीं पाते थे, अब कह पाएंगे अपने दिल की बातें

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प्रणेत की Paraspeak डिवाइस से जो बोल नहीं पाते थे, अब कह पाएंगे अपने दिल की बातें
July 24, 2025

Paraspeak भारत का पहला ओपन-सोर्स ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन सिस्टम है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है जो हिंदी बोलने में असमर्थ हैं।

AI Paraspeak  Device: 11वीं क्लास के स्टूडेंट प्रणेत खेतान ने एक ऐसा AI बेस्ड Paraspeak डिवाइस बनाया है जो धीमे, अस्पष्ट और असमर्थ लैंग्वेज को रियल टाइम में साफ और समझने लायक शब्दों में बदल देगा। यह डिवाइस उन्होंने बहुत कम कीमत पर बनाया है। प्रणेत खेतान के इस डिवाइस बनाने की पीछे एक इमोशनल कहानी है।

दरअसल, प्रणेत खेतान गुड़गांव के शिव नादर स्कूल में पड़ते हैं। एक दिन वह स्कूल की तरफ से फील्ड ट्रिप पर गए हुए थे। इसी दौरान वह एक लकवे से पीड़ित मरीजों की देखभाल सेंटर में पहुंचे। वहां पर प्रणेत ने देखा कि कैसे स्पीच डिसऑर्डर से पीड़ित लोग अपनी बात कहने के लिए जूझ रहे थे। यही पल देखकर उन्होंने इस समस्या को सुलझाने की ठान ली।

हिंदी में पहला ओपन-सोर्स है Paraspeak

Paraspeak भारत का पहला ओपन-सोर्स ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन सिस्टम है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया है जो हिंदी बोलने में असमर्थ हैं। अभी तक अधिकतर स्पीच रिकग्निशन सिस्टम इंग्लिश लैंग्वेज के लिए बनाए जाते रहे हैं। हिन्दी मरीजों के लिए ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। प्रणेत ने अब इस कमी को दूर करते हुए Paraspeak डिवाइस बनाया है। इस डिवाइस को बनाने के लिए उन्होंने NGO और केयर सेंटर से संपर्क किया और करीब 28 मरीजों की आवाजें रिकॉर्ड कीं। इससे उन्हें 42 मिनट का रियल वर्ड ऑडियो मिला। इसके बाद प्रणेत ने डेटा ऑग्मेंटेशन टेक्नोलॉजी की मदद लेकर इस डाटा को बढ़ाकर 20 घंटे का ट्रेनिंग सेट तैयार किया।

टेक्नोलॉजी में सरलता और ताकत दोनों

Paraspeak में वही ट्रांसफॉर्मर आर्किटेक्चर इस्तेमाल हुआ है जिस पर ChatGPT जैसे टूल्स बेस्ड हैं। यह डिवाइस मरीज की अस्पष्ट आवाज को क्लाउड के जरिए तुरंत स्पष्ट आवाज में बदल देता है। यह डिवाइस एक वेबकैम की तरह काम करता है और 10 घंटे तक बैटरी पर चल सकता है। इसके लिए केवल इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। बता दें कि बाकी रिसर्ज बेस्ड टूल्स के मुकाबले यह डिवाइस काफी अलग है क्योंकि यह मल्टी-यूजर सपोर्ट करता है।

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सिर्फ 2,000 रुपये में बनाई गई यह डिवाइस

Paraspeak को बनाने के लिए प्रणेत को सिर्फ 2,000 रुपये लगे हैं। प्रणेत ने खुद ही छोटे साइज के प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) डिजाइन किया था, ताकि यह डिवाइस एक छोटे फोन की तरह पहनने लायक बन सके।

मरीजों से मिली हौसला बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया

प्रणेत ने Paraspeak को कई प्रकार के मरीजों पर टेस्ट किया है। इन लोगों ने डिवाइस पर अपना पॉजिटिव रिएक्शन दिया है। इससे यह  बात साबित होता है कि यह टेक्नोलॉजी रियल वर्ल्ड में भी काम करेगी।

Ragini Sinha

5 साल के अनुभव के साथ मैंने मीडिया जगत में कंटेट राइटर, सीनियर कंटेंट राइटर, मीडिया एनालिस्ट और प्रोग्राम प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया है। बिहार चुनाव और दिल्ली चुनाव को मैंने कवर किया है। अपने काम को लेकर मुझे पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। काम को जल्दी सीखने की कला मुझे औरों से अलग बनाती है।

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